Dihuli Massacre: दिहुली नरसंहार पर 4 दशक बाद आया फैसला, 3 हत्यारों को मिली फांसी की सजा

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Dihuli Massacre: उत्तर प्रदेश के डिहुली गांव में 44 साल पहले हुए सामूहिक हत्याकांड में कोर्ट ने तीन आरोपियों को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने सजा सुनाने के लिए 18 मार्च की तारीख तय की है। दिहुली में हुए सामूहिक हत्याकांड में 24 लोगों की मौत हो गई थी। कोर्ट द्वारा तीनों आरोपियों को दोषी करार दिए जाने के बाद पुलिस ने उनमें से एक को जेल भेज दिया है। वही दिहुली दलित नरसंहार मामले में आखिरकार न्यायालय ने अपना फैसला सुना दिया है। मंगलवार को मैनपुरी कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ने कप्तान सिंह, राम पाल और राम सेवक को दोषी करार देते हुए फांसी और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। तो चलिए इस लेख में आपको दिहुली हत्याकांड के बारे में बताते हैं।

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दिहुली नरसंहार में तीन आरोपियों को फांसी की सजा

18 नवंबर 1981 को मैनपुरी जिले के दिहुली गांव में डकैतों ने हमला किया था। हमलावरों ने गांव में घुसकर अंधाधुंध फायरिंग की थी, जिसमें 24 दलितों की मौत हो गई थी। हमले के बाद गांव में दहशत का माहौल बन गया था। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था और राजनीतिक गलियारों में भी इसकी गूंज सुनाई दी थी। इस मामले में कानूनी लड़ाई 44 साल तक चली।

कई गवाह बदल गए और कई सबूत गायब हो गए। लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने तीन दोषियों को फंसी की सजा सुनाई है। कोर्ट का यह फैसला पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की जीत है। इस फैसले ने साबित कर दिया है कि न्याय में देरी हो सकती है, लेकिन अंधाधुंध नहीं।

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30 दिन के अंदर हाईकोर्ट में कर सकेंगे अपील

फांसी की सजा पाए रामपाल, रामसेवक और कप्तान सिंह अपने कानूनी अधिकार का इस्तेमाल करते हुए 30 दिन के अंदर फांसी की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील भी कर सकते हैं। हाईकोर्ट सेशन कोर्ट के फैसले की समीक्षा के बाद अपना फैसला ले सकता है और फांसी की सजा को बरकरार रख सकता है या फिर सजा में संशोधन भी कर सकता है।

जेल के क्वारंटीन बैरक में रहेंगे दोषी

कोर्ट द्वारा सजा पाए और जेल भेजे गए तीनों दोषियों को पहले 14 दिन क्वारंटीन बैरक में रखा जाएगा। मंगलवार शाम को जेल पहुंचते ही उन्हें इस बैरक में भेज दिया गया। यहां उनकी नियमित निगरानी की जाएगी। देखा जाएगा कि वे समय पर खाना-पीना ले रहे हैं या नहीं, सो रहे हैं या नहीं। 14 दिन बाद उन्हें नियमित बैरक में भेज दिया जाएगा।

क्या है दिहुली नरसंहार

दिहुली में 24 दलितों का नरसंहार किया गया था। दिहुली गांव बाद में मैनपुरी जिले का हिस्सा बन गया, अब कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। दिहुली हत्याकांड के तीन आरोपी को दोषी करार किया गया है, जहाँ 18 मार्च को कोर्ट सुनाएगी सजा। बता दें, 18 नवंबर 1981 को शाम 6 बजे दिहुली गांव पर डकैतों ने हमला कर दिया था। डकैत संतोष और राधे के गिरोह ने हमला कर 24 दलितों की हत्या कर दी थी। इस मामले में कुल 17 आरोपी नामजद थे, जिनमें से 13 की मौत हो चुकी है, जबकि एक आरोपी ज्ञानचंद्र उर्फ गिन्ना अभी भी फरार है। कोर्ट ने उसके खिलाफ स्थाई वारंट जारी किया है।

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