Madhya Pradesh: समाजिक दबाव के खिलाफ शादी रचाई तो कुएं में डाल दिया केरोसिन, पानी के लिए भटकते रहे दलित परिवार

Dalit Girl Rape, Budaun Rape Case
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Madhya Pradesh Incident: अप्रैल 2017 में मध्य प्रदेश के माना गांव में एक दलित परिवार की बेटी की शादी के बाद गांव में एक अप्रत्याशित घटना घटी। शादी के कुछ ही दिनों बाद दलित समुदाय के 500 से ज़्यादा लोगों के घर के कुएं के पानी में मिट्टी का तेल मिला। इस घटना ने दलित परिवारों के लिए गंभीर संकट खड़ा कर दिया, क्योंकि वे सभी पानी की आपूर्ति के लिए इसी कुएं पर निर्भर थे।

शादी के कारण कुएं में तेल डालने की आशंका

दलितों का आरोप था कि गांव के दबंगों ने जानबूझकर कुएं को दूषित किया, क्योंकि चंदर मेघवाल नामक दलित व्यक्ति ने सामाजिक दबाव को नजरअंदाज कर अपनी बेटी की शादी बड़े धूमधाम से की थी।

  • 23 अप्रैल 2017 को चंदर मेघवाल की बेटी ममता की शादी राजगढ़ के दिनेश से हुई थी।
  • यह शादी बैंड-बाजे के साथ हुई, जो माना गांव के इतिहास में पहली बार था।
  • दबंगों ने चंदर मेघवाल को चेतावनी दी थी कि गांव में बारात बिना बैंड-बाजे के निकले और किसी प्रकार की सजावट न की जाए।
  • दबंगों की धमकी के बावजूद, चंदर ने प्रशासन से सुरक्षा की मांग की, जिसके बाद शादी पूरी सुरक्षा के साथ संपन्न हुई।
  • तीन थानों की पुलिस ने शादी के दौरान निगरानी रखी।

दलितों पर सामूहिक सजा?

शादी के कुछ दिनों बाद ही कुएं में किरासन तेल पाया गया, जिससे दलितों को मजबूरन कई किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ा।

  • शादी से पहले दबंगों ने चंदर मेघवाल को धमकी दी थी कि अगर उसने अपनी बेटी की शादी धूमधाम से की, तो उसके परिवार और अन्य दलितों को कुएं से पानी नहीं लेने दिया जाएगा और उन्हें मंदिर में प्रवेश भी नहीं मिलेगा।
  • चंदर मेघवाल ने कहा, “हम सब पानी के लिए इसी कुएं पर निर्भर थे, लेकिन अब इसे दूषित कर दिया गया।”
  • कुएं का पानी उपयोग करने योग्य नहीं था, जिससे दलित महिलाएं छह दिनों तक 2 किलोमीटर दूर नदी से पानी लाने के लिए मजबूर हो गईं।

प्रशासन की प्रतिक्रिया और आश्वासन

दलितों ने प्रशासन को तुरंत इसकी सूचना दी, जिसके बाद प्रशासन ने कुएं का पानी निकालने और किरासन तेल अलग करने का प्रयास किया।

प्रशासन ने दो नए हैंडपंप लगाने का आश्वासन दिया, लेकिन यह प्रक्रिया समय लेने वाली थी। दलितों ने खुद ही नदी किनारे गड्ढा खोदकर पानी निकालना शुरू कर दिया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और वरिष्ठ अधिकारी दुर्विजय सिंह ने कहा, “यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, क्योंकि इस गांव में विभिन्न समुदाय मिल-जुलकर रहते हैं। यह किसी व्यक्ति की शरारत हो सकती है।” पुलिस ने कहा कि जल्द ही इस हरकत के जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली जाएगी।

जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक का दौरा

उस वक्त इस घटना की सूचना मिलने के बाद जिला कलेक्टर डी.वी. सिंह और पुलिस अधीक्षक आर.एस. मीणा ने माना गांव का दौरा किया। उन्होंने खुद कुएं का पानी पीकर दलितों को यह आश्वासन दिया कि पानी सुरक्षित है। उन्होंने गांव के ऊंची जाति के लोगों से बातचीत की और उन्हें भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए आगाह किया। पुलिस ने पूरे मामले की जांच जारी रखी।

दलितों के लिए संघर्ष जारी – हालांकि प्रशासन ने कुछ समय बाद कुएं को साफ कर दिया और नई पानी आपूर्ति के लिए कदम उठाए, लेकिन यह घटनादलितों के साथ होने वाले भेदभाव और सामाजिक संघर्ष की गवाही देती है। माना गांव में यह पहली बार हुआ था कि दलित समाज ने खुले तौर पर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई और प्रशासन ने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की। लेकिन यह घटना जातिगत भेदभाव की उस हकीकत को भी उजागर करती है, जो आज भी भारत के कई हिस्सों में मौजूद है।

 

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