Bengaluru: IIM-B में सूरत के छात्र की मौत पर बवाल, बामसेफ ने पिछड़े छात्रों की सुरक्षा पर उठाया सवाल

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Bengaluru IIM-B : भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) बेंगलुरु में सूरत के एक आदिवासी छात्र की मौत के मामले में, बामसेफ गुजरात ने विशेष जांच दल (SIT) से जांच कराने की मांग की है। बामसेफ ने IIM, IIT और मेडिकल कॉलेज जैसे प्रमुख संस्थानों में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के छात्रों से जुड़े व्यापक मुद्दों को भी उठाया है।

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जानें क्या है पूरा मामला?

भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) बैंगलोर में एमबीए कर रहे अनुसूचित जनजाति (st) के छात्र निलय कैलाशभाई पटेल की मौत ने प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में हाशिए के समुदायों के छात्रों की सुरक्षा और उपचार के बारे में गंभीर चिंताएँ पैदा कर दी हैं। पटेल का शव रविवार, 5 जनवरी 2025 को सुबह 6:45 बजे हॉस्टल कैंपस रोड पर एक सुरक्षा गार्ड को मिला। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर पर कई चोटों और सदमे को मौत का कारण बताया गया है।

दरअसल, पटेल ने शनिवार, 4 जनवरी 2025 की रात को अपने हॉस्टल में दोस्तों के साथ अपना जन्मदिन मनाया। उसे आखिरी बार रात 11:30 बजे अपने दोस्त के कमरे से लौटते हुए देखा गया था। अगली सुबह उसका शव हॉस्टल परिसर में मिला। पटेल एक होनहार छात्र था और उसे हाल ही में एक ई-कॉमर्स कंपनी में उच्च वेतन वाली नौकरी मिली थी, जहाँ उसे सोमवार को ज्वाइन करना था।

घटना के बाद, गुजरात के सूरत स्थित पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक कर्मचारी महासंघ (BAMCEF)  ने बेंगलुरू पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर मामले की विशेष जांच दल (SIT) से निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। संगठन ने न केवल पटेल की मौत बल्कि IIM,IIT और मेडिकल कॉलेजों जैसे प्रमुख संस्थानों में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग  (OBC)  के छात्रों से संबंधित व्यापक मुद्दों को भी उठाया है।

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बामसेफ की मांगें 

SIT जांच: छात्र की मौत की जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित किया जाए। वही अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज हो: चूंकि छात्र अनुसूचित जनजाति (ST) से था, इसलिए इस मामले में SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम लगाया जाए। इसके अलवा बामसेफ का आरोप है कि इन प्रतिष्ठित संस्थानों में जातिगत हिंसा को नजरअंदाज किया जाता है और व्यवस्थागत भेदभाव के कारण इन घटनाओं की निष्पक्ष जांच नहीं होती। संगठन ने इसे SC, ST और OBC छात्रों के खिलाफ बढ़ती हिंसा का एक हिस्सा बताया और जातिगत समूहों द्वारा निशाना बनाए जाने का आरोप लगाया।

बता दें, BAMCEF ने न केवल एसआईटी जांच की मांग की है, बल्कि सरकार से एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की अपील भी की है। संगठन ने संस्थानों में मजबूत शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने और छात्रावासों और शैक्षणिक परिसरों में जातिगत भेदभाव के खिलाफ सख्त नियम लागू करने की जरूरत पर जोर दिया है।

 

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