Bihar Police officer suicide: बिहार में एक दलित थानेदार को जातिवाचक शब्दों से अपमानित किया गया, जिसके बाद उसने तंग आकर आत्महत्या कर ली। यह घटना सत्ता के अधीन जातिवाद की घिनौनी सच्चाई को उजागर करती है। हम पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं और न्याय की मांग करते हैं। पीड़ित परिवार का दर्द सुनें।
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जानें पूरा मामला
हाल ही में बिहार से एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई हैं। यह घटना बिहार में एक दलित थानेदार के साथ हुई त्रासदी को दर्शाती है, जहां जातिवादी मानसिकता ने एक जान को खत्म कर दिया। जब एक सशक्त और जिम्मेदार सरकारी अधिकारी को जातिवाद की घिनौनी टिप्पणियों का शिकार बनाया गया और उसने तंग आकर आत्महत्या कर ली, जिसके बाद पुलिस इस मामले की पूरी तरह जाँच कर रहीं हैं। वही पीड़ित परिजन का कहना है कि थाने में मौजूद ACP, DSP अक्सर उसके पति को जातिवाचक शब्दों से अपमानित करतें थे। वही पीड़ित परिवार न्याय की मांग कर हैं।
बिहार में एक दलित थानेदार को जातिवाचक शब्दों से अपमानित किया गया, जिसके बाद उसने तंग आकर आत्महत्या कर ली। यह घटना सत्ता के अधीन जातिवाद की घिनौनी सच्चाई को उजागर करती है। हम पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं और न्याय की मांग करते हैं। पीड़ित परिवार का दर्द सुनें। #DalitLivesMatter pic.twitter.com/u0hPiSGMdp
— Hansraj Meena (@HansrajMeena) December 30, 2024
वही यह घटना हम सब को यह सोचने पर मजबूर करता है कि समाज में जातिवाद कितना गहरा और खतरनाक है। पीड़ित परिवार का दर्द और संघर्ष न केवल उनकी व्यक्तिगत क्षति को, बल्कि समाज में व्याप्त असमानता और भेदभाव को भी उजागर करता है। यह घटना हमें याद दिलाती है। जातिवाद केवल शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानसिकता, समाजिक ढांचे और इंसानियत की ओर बढ़ता हुआ एक खतरनाक वायरस है।
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समाज में जातिवाद का जहर – Bihar Police officer suicide
जातिवाद एक ऐसा सामाजिक बुराई है जो सदियों से भारतीय समाज को जकड़े हुए है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें लोगों को जन्म से ही कुछ विशेष जाति या वर्ग में रख दिया जाता है और उन्हें उनके जन्म के आधार पर ही अधिकार और अवसर दिए जाते हैं। यह एक ऐसा जहर है जो समाज के हर कोने में फैला हुआ है और लोगों के जीवन को बर्बाद कर रहा है। अब समय आ गया है कि हम सब मिलकर इस सड़ी-गली मानसिकता को खत्म करने की दिशा में कदम उठाएं। न्याय की मांग और पीड़ित परिवार के साथ खड़ा होना हमारी जिम्मेदारी है, ताकि ऐसे कृत्यों को रोका जा सके और समाज में समानता और सम्मान की भावना का प्रसार हो।