Infosys को-फाउंडर क्रिस गोपालकृष्‍णन पर दलित उत्पीड़न का आरोप, जानें क्या है पूरा मामला

Chris Gopalakrishnan, infosys co founder Chris Gopalakrishnan
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Infosys cofounder Kris Gopalakrishnan:  हाल ही में एक बड़ी खबर सामने आई है। जहाँ इंफोसिस के को-फाउंडर क्रिस गोपालकृष्णन पर दलित उत्पीड़न का आरोप लगा है। यह आरोप दुर्गाप्पा ने लगाया है, जो आदिवासी बोवी समुदाय से हैं, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) में सतत प्रौद्योगिकी केंद्र में संकाय सदस्य थे। तो चलिए आपको इस लेख में पुरे मामले के बारें में बताते है।

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दुर्गाप्पा ने लगाया दलित उत्पीड़न का आरोप

यह मामला काफी गंभीर और संवेदनशील है। इंफोसिस के को-फाउंडर क्रिस गोपालकृष्णन पर दलित उत्पीड़न का आरोप, और इसके खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ है, अगर इस मामले में आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल उन लोगों के लिए एक कड़ी सजा का संकेत होगा जो इस तरह के अपराध करते हैं, बल्कि एक चेतावनी भी होगी कि समाज में किसी के साथ भेदभाव और उत्पीड़न सहन नहीं किया जाएगा।

दरअसल, इंफोसिस के सह-संस्थापक क्रिस गोपालकृष्णन (Kris Gopalakrishnan), आईआईएससी (IISC) के पूर्व निदेशक बलराम और 16 अन्य के खिलाफ सोमवार को एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया। 71वें शहर के सिविल और सत्र न्यायालय (सीसीएच) के निर्देश पर सदाशिव नगर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया। शिकायतकर्ता, दुर्गाप्पा, जो आदिवासी बोवी समुदाय से हैं, भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) में सतत प्रौद्योगिकी केंद्र में संकाय सदस्य थे।

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हनी ट्रैप मामला

उन्होंने दावा किया कि 2014 में उन्हें हनी ट्रैप मामले में झूठा फंसाया गया और बाद में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि उन्हें जातिवादी दुर्व्यवहार और धमकियों का सामना करना पड़ा। इस मामले के अन्य आरोपी व्यक्तियों में गोविंदन रंगराजन, श्रीधर वारियर, संध्या विश्वेश्वरैया, हरि के वी एस, दासप्पा, बलराम पी, हेमलता महिषी, चट्टोपाध्याय के, प्रदीप डी सावकर और मनोहरन शामिल हैं। आईआईएससी संकाय या क्रिस गोपालकृष्णन, जो आईआईएससी बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के सदस्य भी हैं, की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

बता दें, यह मामला कई पहलुओं से महत्वपूर्ण है, जैसे कि उच्च प्रोफाइल के आरोपियों के शामिल होने और आदिवासी समुदायों के खिलाफ भेदभाव की समस्या। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे की जांच और कानूनी प्रक्रिया में क्या परिणाम सामने आते हैं।

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