Dalit Murder Case: हाल ही में एक पुराना मामल सामने आया हैं, जिसमे दोषी को सजा 3 साल बीत जाने के बाद हुई है। जी हाँ, ये घटना 7 सितंबर 2022 की है, जब एक दलित युवक मुनेंद्र ने धर्मेंद्र की बेहरमी से हत्या की थी। जिसके बाद सालो तक इस मामले की सुनवाई जारी रही थी। तो चलिए आपको इस लेख में पुरे मामले के बारें में बताते हैं।
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जानें क्या है पूरा मामला ?
कभी-कभी किसी मामले पर तुरंत कोई निर्णय नहीं ले पाते हैं…जिस कारण दोषी को सजा देने में समय लग जाता हैं। ऐसा ही एक मामला अब सामने आया हैं जहाँ दलित युवक की हत्या के मामले में दोषी को तीन साल बाद उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। यह फैसला उस मामले के बाद आया है जिसमें आरोपी पर जातिगत भेदभाव और हत्या का आरोप था। इस प्रकार के मामलों में न्याय पाने में समय लगना आम बात है, लेकिन इस सजा ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है कि जातिगत हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
दरअसल, कुछ साल पहले सिविल लाइंस कोतवाली के पडुआ गांव निवासी राम सिंह ने 18 सितंबर 2022 को सिविल लाइंस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 17 सितंबर की सुबह कुलचौरा गांव का मुनेंद्र पुत्र धर्म सिंह यादव उसके बेटे धर्मेंद्र को मजदूरी के बहाने घर से ले गया था। जब देर रात तक मेरा बेटा घर नहीं आया तो मैं मुनेंद्र के घर गया तो पता चला कि मुनेंद्र भी घर नहीं आया है। अगले दिन थाने से फोन आया कि एक शव मिला है।
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3 साल बाद की उम्रकैद
जिसके बाद पीड़िता के पिता ने थाने जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई। फिर पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और तमाम साक्ष्य जुटाकर आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया। जहां तब से मामला न्यायालय में विचाराधीन था। शुक्रवार को न्यायाधीश ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने और दलीलें सुनने के बाद दोषी मुनेंद्र को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस मामले की जानकारी खुद एडीजीसी जितेंद्र कुमार सिंह ने मीडिया को दी।