Kangsi Tambura Studio: 6 सालों की मेहनत के बाद आदिवासी युवक ने पूरा किया अपना सपना

Kangsi Tambura Studio
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Kangsi Tambura Studio: जब हम बॉलीवुड और बड़े शहरों के आलीशान रिकॉर्डिंग स्टूडियो की कल्पना करते हैं, तो हमें लगता है कि ऐसी सुविधाएं सिर्फ महानगरों में ही संभव हैं। लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के एक छोटे से गांव कांगसी में एक साधारण झोपड़ी में बना ‘तम्बूरा स्टूडियो’ इस धारणा को बदल रहा है। इस स्टूडियो को एक आदिवासी युवक दीपक चरपोटा ने अपनी अथक मेहनत और लगन से स्थापित किया है।

6 साल की मेहनत का परिणाम (Kangsi Tambura Studio)  

दीपक चरपोटा, जो खुद एक लोक कलाकार हैं, ने यह स्टूडियो अपने दम पर बनाया। 2018-19 में, उन्होंने मजदूरी करके पैसे इकट्ठा करना शुरू किया और धीरे-धीरे आधुनिक रिकॉर्डिंग उपकरण खरीदे। तानपुरा स्टूडियो के संस्थापक दीपक चरपोटा ने बताया, “यह इतना आसान नहीं था। मैं गरीब परिवार से हूं और एक बार मैं अपने लोकगीतों की रिकॉर्डिंग के लिए इंदौर के एक प्रोफेशनल स्टूडियो में गया था, लेकिन रिकॉर्डिंग की कीमत सुनकर मैं अपने गांव लौट आया। इसके बाद मैंने घर पर ही स्टूडियो बनाने के बारे में सोचना शुरू किया, लेकिन मेरे पास इतना बजट नहीं था। फिर 2018-19 से ही मैंने मजदूरी करके पैसे जमा करने शुरू कर दिए। स्टूडियो के लिए एक-एक करके सामान खरीदना शुरू किया। मैं खुद भजन भी गाता हूं। भजन कार्यक्रम और दूसरे कार्यक्रमों से मिलने वाले पैसे भी मैंने स्टूडियो बनाने में खर्च कर दिए।” करीब 6 साल की मेहनत से दीपक ने तानपुरा स्टूडियो खड़ा किया है।

झोपड़ी में मुंबई जैसा स्टूडियो

तंबूरा स्टूडियो कांगसी गांव में एक झोपड़ी के भीतर स्थित है। पहली बार यहां आने वाले लोग यह देखकर चकित रह जाते हैं कि इतनी साधारण जगह में इतना आधुनिक स्टूडियो कैसे संभव हो सकता है। यहां लोकगीत, आदिवासी संगीत, और भक्ति गानों की रिकॉर्डिंग होती है।

दीपक के इस स्टूडियो में न केवल स्थानीय कलाकार बल्कि राजस्थान और मध्य प्रदेश के दूर-दराज के क्षेत्रों से भी कलाकार रिकॉर्डिंग के लिए आते हैं।

स्थानीय कलाकारों को निशुल्क सुविधा

दीपक ने बताया कि उनका उद्देश्य स्थानीय कलाकारों को एक मंच उपलब्ध कराना है। तंबूरा स्टूडियो में स्थानीय कलाकारों के लिए रिकॉर्डिंग निशुल्क की जाती है। यही नहीं, बाहर से आने वाले कलाकार भी उनकी मेहनत को देखकर स्वेच्छा से रिकॉर्डिंग की फीस देते हैं। लोक कलाकार जैसे रामलाल राजोरिया, देवीदास बैरागी, और नेहा डावर ने यहां अपनी रिकॉर्डिंग कराई है। (Kangsi Tambura Studio)

पद्मश्री प्रहलाद टिपानिया ने की सराहना

दीपक की मेहनत और लगन को पद्मश्री प्रहलाद टिपानिया जैसे प्रसिद्ध लोक कलाकारों ने भी सराहा है। उनकी प्रशंसा ने तंबूरा स्टूडियो को और अधिक पहचान दिलाई है।

यूट्यूब चैनल से बढ़ती पहचान – Kangsi Tambura Studio

दीपक ने ‘तंबूरा स्टूडियो’ और ‘दीपक चरपोटा ऑफिशियल’ नाम से यूट्यूब चैनल भी शुरू किया है, जहां उनके रिकॉर्ड किए गाने और भजन अपलोड किए जाते हैं। यह चैनल उनके लिए एक नया आय का जरिया बन गया है।

मालवा-निमाड़ और राजस्थान में लोकप्रियता

दीपक का कहना है, “तंबूरा स्टूडियो का उद्देश्य केवल रिकॉर्डिंग नहीं बल्कि क्षेत्रीय संगीत और कलाकारों को बढ़ावा देना है।” आज यह स्टूडियो न केवल कांगसी गांव बल्कि मालवा-निमाड़ क्षेत्र और राजस्थान के कलाकारों के बीच भी प्रसिद्ध हो गया है। दीपक चरपोटा की कहानी यह साबित करती है कि अगर लगन और मेहनत हो तो संसाधनों की कोई भी कमी दूर की जा सकती है। तानपुरा स्टूडियो अब न केवल रतलाम जिले का गौरव है बल्कि दूर-दराज के कलाकारों के लिए उम्मीद की किरण भी बन गया है। यह स्टूडियो दीपक के सपनों और उनकी मेहनत का जीता जागता उदाहरण है। उनकी सफलता बताती है कि किसी भी बड़ी शुरुआत के लिए सिर्फ सपनों और कड़ी मेहनत की जरूरत होती है।

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