Mysuru News : बीते मंगलवार को कर्नाटक के मैसूर से एक ऐसी खबर आई, जिसने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। यहां कुछ दलित युवकों के एक समूह ने नगराले गांव के कांग्रेस नेताओं की आलोचना करते हुए बोर्ड भी लगा दिए और कांग्रेस पदाधिकारियों का प्रवेश भी वर्जित कर दिया है। तो चलिए इस लेख में आपको पूरा मामला बताते हैं।
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जानें क्या था पूरा मामला
बीते कुछ दिन पहले बेंगलुरु (Bengaluru) में सीएम सिद्धारमैया (Chief Minister Siddaramaiah) के करीबी और समाज कल्याण मंत्री डॉ. एचसी महादेवप्पा ( Social Welfare minister Hc Mahadevappa) ने कहा कि दलितों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने से “हमें कोई नहीं रोक सकता”। इस बयान के जरिए उन्होंने दलित समुदाय (Dalit Community) के मुद्दों पर अपनी सरकार की प्रतिबद्धता और उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में उठाए गए कदमों को स्पष्ट किया। यह बयान ऐसे समय में आया जब दलितों से जुड़ी विभिन्न समस्याओं और उनके अधिकारों की बात देशभर में हो रही है।
वही अब कर्नाटक के मैसूर में मंगलवार को कुछ दलित युवकों के एक समूह ने नागराले गांव के कांग्रेस नेताओं की आलोचना करते हुए बोर्ड लगाए, जो मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के प्रतिनिधित्व वाले वरुणा विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। वही अब चार जगहों पर बोर्ड कुछ को बिजली के खंभों से बांध कर उसपर लिख दिया है कि नागराले गांव में कांग्रेस पदाधिकारियों का प्रवेश वर्जित है।
अंबेडकर की मूर्ति लगाने का आश्वासन
दरअसल, विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और एचसी महादेवप्पा ने दलित समुदाय को गांव में अंबेडकर की मूर्ति लगाने का आश्वासन दिया था। चुनाव के दौरान सिद्धारमैया और महादेवप्पा का समर्थन करने वाले दलित युवा अब परेशान हैं क्योंकि सीएम के करीबी सहयोगी कुमार ने संकेत दिया है कि केवल 3 लाख रुपये दिए जाएंगे और कोई अतिरिक्त धनराशि नहीं दी जाएगी। इस घटनाक्रम से युवा निराश हैं, जिन्होंने अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए बोर्ड लगाकर विरोध का एक अनूठा तरीका अपनाया।
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इससे पहले, मूर्ति के लिए, एमएलसी यतींद्र सिद्धारमैया ने लोकसभा चुनाव से पहले एक भूमिपूजन समारोह आयोजित किया था, और नींव के काम के लिए 3 लाख रुपये आवंटित किए गए थे। परियोजना को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 20 लाख रुपये की आवश्यकता है। मैसूरु जिला कांग्रेस के अध्यक्ष बी3 विजयकुमार ने कहा कि उन्हें संदेह है कि विपक्षी नेता कांग्रेस को बदनाम करने की कोशिश में शामिल हैं। उन्होंने कहा, “गांव में इस मामले को लेकर युवाओं में कोई असंतोष नहीं है। सभी बोर्ड हटा दिए गए हैं।”