Odisha: जातिवाद का घिनौना चेहरा, ओडिशा NFI में दलित कर्मचारी का उत्पीड़न

Caste discrimination, Odisha
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Odisha: हाल ही में ओडिशा के भुवनेश्वर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एनएफआई के पदाधिकारियों के खिलाफ एक दलित कर्मचारी के साथ जातिवादी दुर्व्यवहार करने और कार्यस्थल पर उसका शोषण करने का मामला दर्ज किया गया है। जी हाँ, दलित व्यक्ति का आरोप है की उसके साथ भेदभाव कार्यलय में भेदभाव होता है।  तो चलिए इस लेख में आपको पूरे मामले के बारे में बताते हैं।

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जानें क्या है पूरा मामला ?

ओडिशा के एनआईएफ (NFI) में एक दलित कर्मचारी के साथ उत्पीड़न का मामला सामने आया है। कर्मचारी ने संस्थान के कुछ अधिकारियों पर जातिवादी टिप्पणी करने और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। जिसके बाद भुवनेश्वर के नयापल्ली पुलिस स्टेशन ने SC-ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत इप्सा प्रतिभा सारंगी और बिराज पटनायक सहित नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया (एनएफआई) के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। कर्मचारी का आरोप है कि उसे उसकी जाति के कारण नौकरी दी गई थी और उसके साथ लगातार अपमानजनक व्यवहार किया जाता था।

पीड़ित कर्मचारी के अनुसार, उसे पिछले कुछ समय से जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करके अपमानित किया जा रहा था। इसके साथ ही, उसे काम में भी परेशान किया जा रहा था और उसे बिना किसी कारण के निलंबित कर दिया गया था। कर्मचारी ने इस मामले कि शिकायत पुलिस में दर्ज कराई है।

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दर्ज हुई  एफआईआर

शिकायत के अनुसार, सेठी को 1 अक्टूबर, 2024 को एनएफआई में एक कार्यक्रम अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था, वही एक कठोर चार-चरणीय साक्षात्कार प्रक्रिया के बाद जहां वह 380 आवेदकों में से सबसे उपयुक्त उम्मीदवार के रूप में उभरे। हालांकि, शामिल होने के कुछ दिनों के भीतर, उन्हें कथित तौर पर वरिष्ठ अधिकारियों, विशेष रूप से इप्सा प्रतिभा सारंगी और बिराज पटनायक द्वारा जाति-आधारित भेदभाव और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। बता दें, एफआईआर में कार्यस्थल पर अस्पृश्यता, वित्तीय शोषण और धन उगाहने के लिए एससी पहचान का दुरुपयोग करने के दबाव के मामलों का विवरण दिया गया है।

7-9 अक्टूबर, 2024 को दिल्ली में विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) अनुपालन पर एक वित्तीय प्रशिक्षण सत्र के दौरान, सेठी को कथित तौर पर एक निजी बैठक में बुलाया गया था, जहाँ सारंगी और पटनायक दोनों ने उन पर दानदाताओं को आकर्षित करने के लिए अपनी एससी पहचान का उपयोग करने का दबाव डाला।

आपको बात दें इस मामले को लेकर दलित संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस घटना की निंदा की है और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने कहा है कि इस तरह की घटनाएं समाज में जातिवाद के गहरे Roots को दर्शाती हैं।

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