Pa. Ranjit: तमिल सिनेमा के प्रतिष्ठित निर्देशक पा. रंजीत, जिन्होंने कबाली, काला, और सारपट्टा परंबरई जैसी यादगार फिल्में दी हैं, अब अपनी पहली हिंदी फिल्म बनाने की तैयारी में हैं। उनकी आगामी परियोजना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आदिवासी नायक बिरसा मुंडा के जीवन पर आधारित होगी। यह फिल्म न केवल उनके संघर्षों और बलिदानों को बड़े पर्दे पर जीवंत करेगी, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण लेकिन कम चर्चित अध्याय को भी उजागर करेगी।
फिल्म की घोषणा और तैयारी
पा. रंजीत ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपनी नई फिल्म ‘बिरसा मुंडा‘ की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि फिल्म की पटकथा लगभग पूरी हो चुकी है, जिसे उन्होंने और उनके एक मित्र ने लिखा है। वर्तमान में, फिल्म की कास्टिंग का कार्य प्रगति पर है। इस महत्वाकांक्षी बायोपिक के लिए अक्षय कुमार और रणवीर सिंह जैसे बॉलीवुड के बड़े सितारों के नामों पर चर्चा हो रही है।
यह फिल्म रंजीत की पहली गैर-तमिल परियोजना होगी और इसका निर्माण नमः पिक्चर्स द्वारा किया जाएगा। यह वही प्रोडक्शन हाउस है जिसने ईरानी फिल्म निर्माता माजिद मजीदी की ‘बियॉन्ड द क्लाउड्स‘ का सह-निर्माण किया था।
बिरसा मुंडा: कौन थे वे? – बिरसा मुंडा झारखंड के खूँटी जिले के उलिहातु गांव में 15 नवंबर 1875 को जन्मे एक आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी, धार्मिक नेता और समाज सुधारक थे। वे मुंडा जनजाति के एक प्रतिष्ठित नायक थे।
उलगुलान: आदिवासी विद्रोह का नेतृत्व
बिरसा मुंडा ने 19वीं शताब्दी में आदिवासियों के अधिकारों के लिए अंग्रेजों और बाहरी शोषकों के खिलाफ संगठित विद्रोह किया। इस विद्रोह को ‘उलगुलान‘ (महान उथल-पुथल) के नाम से जाना जाता है। उन्होंने “अबुआ राज सेटर जना, महारानी राज टुंडु जना” (हमारा राज स्थापित हो, रानी का राज समाप्त हो) का नारा दिया। ब्रिटिश सरकार की नई भूमि निपटान प्रणाली, जिसने आदिवासियों को उनकी जमीन से बेदखल कर दिया, के खिलाफ बिरसा ने आंदोलन का नेतृत्व किया।
बिरसा ने 1895 में स्वतंत्र ‘मुंडा राज‘ की स्थापना की। उन्होंने एक सफेद झंडा अपनाया, जो स्वतंत्रता का प्रतीक था। उनके नेतृत्व में आदिवासियों ने चर्चों, पुलिस थानों और ब्रिटिश शासन के अन्य प्रतीकों पर सशस्त्र हमले किए।
गिरफ्तारी और बलिदान – मार्च 1900 में, बिरसा को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया। उन्हें जेल में डाल दिया गया, जहां कुछ महीनों बाद हैजे के कारण उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु ने विद्रोह को कमजोर किया, लेकिन उनके बलिदान ने आदिवासी समुदायों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा दी।
आदिवासी समुदायों की विरासत
पा. रंजीत की यह फिल्म बिरसा मुंडा के जीवन, उनके संघर्षों, और आदिवासी समुदायों के लिए उनके योगदान को प्रदर्शित करेगी। यह फिल्म उनके नेतृत्व में हुए मुंडा विद्रोह और आदिवासियों के अधिकारों के संघर्ष को श्रद्धांजलि होगी।आज भी, बिरसा मुंडा के जन्मस्थान उलिहातु गांव में लोग उनके दर्शन के लिए आते हैं। भारत सरकार ने 2021 में उनकी जयंती, 15 नवंबर, को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में घोषित किया।
पा. रंजीत और उनकी सोच – पा. रंजीत सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर आधारित फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। उनकी फिल्मों में दलित और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के संघर्षों को प्रमुखता दी जाती है। ‘बिरसा मुंडा‘ उनके इस विचारधारा का विस्तार है। उनकी हालिया फिल्म ‘थंगालान‘, जिसमें चियान विक्रम और मालविका मोहनन ने अभिनय किया, ने तमिल, तेलुगु, कन्नड़, और मलयालम भाषाओं में व्यापक प्रशंसा प्राप्त की।
बायोपिक का सफर
पा. रंजीत 2019 से बिरसा मुंडा पर एक फिल्म बनाने की योजना बना रहे थे। हालांकि, अन्य परियोजनाओं के कारण यह फिल्म स्थगित हो गई। अब, यह उनकी पहली हिंदी फिल्म के रूप में सामने आएगी।
कुल मिलकर कहें तो, पा. रंजीत की ‘बिरसा मुंडा‘ आदिवासी नायक की अदम्य साहस और बलिदान की कहानी है। यह फिल्म न केवल इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय को जीवंत करेगी, बल्कि भारतीय सिनेमा में एक नई दृष्टि और गहराई जोड़ने का काम करेगी। बिरसा मुंडा का जीवन न केवल आदिवासी समुदायों के लिए प्रेरणा है, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक प्रेरक गाथा है।
दर्शक इस फिल्म से एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक यात्रा की उम्मीद कर सकते हैं, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक अनसुने अध्याय को प्रकाश में लाएगी।