Pauri Gharwal: उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में एक पुजारी को कथित तौर पर एक दलित जोड़े को मंदिर में शादी करने से रोकने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुजारी के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में बताते है।
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जानें क्या है पूरा मामला?
हाल ही में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के मनियारस्यूं पट्टी में स्थित आदिशक्ति मां भुवनेश्वरी मंदिर से मानवता को शर्मसार करने वाली एक खबर सामने आई है, जहां मंदिर के पुजारी ने एक दलित जोड़े को मंदिर में शादी नहीं करने दी। दरअसल, यह घटना 5 मार्च की है, जब एक दलित जोड़ा शादी करने के लिए मंदिर गया था। पुजारी नागेंद्र सेलवाल ने कथित तौर पर जोड़े को मंदिर में प्रवेश करने से मना कर दिया और उन्हें जातिसूचक गालियां दीं। जिसके बाद लड़की के पिता ने स्थनीय थाने में जाकर रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
SC-ST एक्ट के तहत दर्ज हुई शिकायत
मनियारस्यूं क्षेत्र की पुलिस के अनुसार इस मामले में दुल्हन के पिता की शिकायत पर आरोपियों के खिलाफ एससी-एसटी की धारा लगाई गई है। इस मामले में सब इंस्पेक्टर राकेश बिष्ट ने जानकारी दी है कि 5 मार्च की सुबह जब दलित कपल उनके पास पहुंचे तो पुजारी नागेंद्र सेलवाल ने कथित तौर पर उन्हें जातिसूचक शब्दों में गाली दी। बिष्ट ने कहा है कि दलित कपल अंकिता और अजय की शादी तय समय पर नहीं हो सकी और क्षेत्र के लोगों को बीच-बचाव करना पड़ा।
कानूनी कार्रवाई
ASI ने बताया कि यह घटना सांगुड़ा सेरा गांव में आदिशक्ति मां भुवनेश्वरी मंदिर में हुई। क्षेत्र के एक व्यक्ति ने मुझे फोन कर बताया कि सेलवाल ने दरवाजे बंद कर दिए हैं और प्रेमी युगल को उनकी जाति के आधार पर अंदर जाने से मना कर दिया है। मैंने सेलवाल को फोन कर उन्हें अंदर जाने देने को कहा। पुलिस अधिकारी ने बताया है कि घटना के कुछ दिनों बाद अंकिता के पिता नकुल दल ने राजस्व पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और सेलवाल तथा उसके सहयोगी नितीश खेड़ियाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
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गांव के निवासी नितिन कैंथोला ने बताया कि जिस यज्ञशाला में विवाह होते हैं, वह कभी भी उस दिन बंद नहीं होती। विवाह के लिए आए लोगों के लिए इसे बंद देखना एक असामान्य बात थी। पुजारी नहीं चाहते थे कि वे अंदर जाएं। हालांकि, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था और परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण उन्होंने वहीं शादी करने का फैसला किया। जब यह स्थिति बनी, तो मंदिर समिति ने पटवारी को सूचित किया, जिसने मामले को सुलझाने में मदद की। मामले की जांच कर रहे पौड़ी सदर क्षेत्राधिकारी त्रिवेंद्र सिंह राणा ने बताया कि यह विवाद मंदिर के मालिकों के बीच मतभेद के कारण हुआ। हम यह सुनिश्चित करने के लिए जांच कर रहे हैं कि इसमें कोई जातिगत पहलू तो नहीं है।