R. L. V. Ramakrishnan Biography : रामकृष्णन भारतीय शास्त्रीय नृत्य, विशेषकर भरतनाट्यम के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नाम हैं। वे पहले दलित प्रोफेसर थे जिन्होंने भरतनाट्यम के क्षेत्र में प्रतिष्ठा प्राप्त की और इस पारंपरिक नृत्य को एक नए दृष्टिकोण से देखा। उनका जीवन और कार्य दलित समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हैं। तो चलिए आपको इस लेख में रामकृष्णन के बारें में बताते हैं।
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जानें कौन हैं रामकृष्णन – First Dalit Male Bharatanatyam Assistant Professor
भरतनाट्यम भारत का एक शास्त्रीय नृत्य रूप है, जिसकी उत्पत्ति तमिलनाडु में हुई थी। यह नृत्य न केवल कला और संस्कृति का प्रतीक है, बल्कि भारतीय समाज की जटिलताओं और परिवर्तनों का भी आईना है। इसीलिए, भरतनाट्यम के क्षेत्र में एक दलित समुदाय से आने वाले व्यक्ति का प्रोफेसर बनना एक ऐतिहासिक उपलब्धि भी माना जा रहा हैं। जी हाँ, हाल ही में केरल कलामंडलम विश्वविद्यालय ने भरतनाट्यम के सहायक प्रोफेसर के रूप में आरएलवी रामकृष्णन की नियुक्ति की है। यह पहली बार है जब भरतनाट्यम विभाग में एक पुरुष कलाकार को नियुक्त किया गया है। रामकृष्णन एक दलित कलाकार हैं, जिन्हें पहले उनकी जाति, लिंग और रंग के कारण इस प्रतिष्ठित संस्थान में अवसरों से वंचित रखा गया था।
लेकिन रामकृष्णन ने यह साबित कर दिया कि जाति व्यवस्था किसी व्यक्ति की प्रतिभा और सफलता को रोक नहीं सकती। वही उन्होंने उन्होंने भरतनाट्यम को एक अधिक समावेशी कला रूप बनाया, जिससे दलित समुदाय के लोगों को भी इस कला का आनंद लेने और सीखने का मौका मिला। रामकृष्णन ने न केवल भरतनाट्यम को एक कला के रूप में फैलाया, बल्कि इसे दलित समाज के लोगों तक भी पहुंचाने का प्रयास किया। उनका मानना था कि कला और संस्कृति किसी जाति, वर्ग या धर्म की सीमा से परे होती है, और इसलिए इसे सभी के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए।
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अन्य दलित कलाकारों के लिए प्रेरणा
यह नियुक्ति कला की दुनिया में एक ऐतिहासिक बदलाव का प्रतीक है। 90 साल से भी ज़्यादा पुराने इस संस्थान में तमिलनाडु के जाने-माने नर्तक गुरु राजरत्नम पिल्लई और एआरआर भास्कर ने अपने शुरुआती वर्षों में काम किया था। इन दोनों ने यहां विजिटिंग फैकल्टी के तौर पर काम किया था। उन्होंने अन्य दलित कलाकारों के लिए एक मार्ग प्रशस्त किया, जो इस कला रूप में आगे बढ़ने की इच्छा रखते हैं। वही रामकृष्णन की कहानी हमें यह सिखाती है कि समाज में बदलाव लाने के लिए व्यक्तिगत प्रयास कितने महत्वपूर्ण होते हैं। हमें ऐसे लोगों को प्रेरित करना चाहिए जो समाज में समानता लाने के लिए काम कर रहे हैं।
बता दें भारत में, भरतनाट्यम को लंबे समय तक उच्च जातियों का विशेषाधिकार माना जाता था। दलित समुदाय के लोगों को इस कला से दूर रखा जाता था। रामकृष्णन जैसे व्यक्तियों के कारण ही इस कला रूप में विविधता आई है। उनके योगदान ने शास्त्रीय नृत्य को आम जनता तक पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त किया और उन्होंने यह दिखाया कि कला समाज के हर वर्ग के लिए एक शक्ति बन सकती है।
फिल्म अभिनेता कलाभवन मणि के भाई हैं रामकृष्णन
आपको बता दें कि दलित समुदाय से आने वाले रामकृष्ण (Ramakrishna) दिवंगत फिल्म अभिनेता कलाभवन मणि (film actor Kalabhavan Mani) के भाई हैं। उनके पास मोहिनीअट्टम और भरतनाट्यम ( Mohiniyattam and Bharatanatyam) में दो एमए की डिग्री है। बता दें कि लिंग और जाति के आधार पर मोहिनीआट्टम (Mohiniyattam) करने के लिए उन्हें अपमान का सामना करना पड़ा था। रामकृष्णन ने कहा कि मेरे लिए यह बहुत बड़ा क्षण है। मेरे भाई ने कहा था कि हमें दृढ़ संकल्प के साथ आपको अपने लक्ष्य का पीछा करना चाहिए और किसी भी तरह की चुनौतियों से डरना नहीं चाहिए। मैं बहुत गौरवान्वित महसूस करता हूं कि मैं इस महान संस्थान के इतिहास का हिस्सा बन रहा हूं।