SAHARANPUR: दलित दूल्हे की घुड़चढ़ी पर विवाद, मुस्लिम समुदाय ने रोका, पुलिस ने संभाला मोर्चा

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SAHARANPUR NEWS: सहारनपुर जिले के टोडरपुर गांव में दलित दूल्हे की घुड़चढ़ी को मुस्लिम समुदाय के लोगों ने रोक दिया। मामला तब और बढ़ गया जब दोनों पक्षों के बीच विवाद शुरू हो गया। विवाद इतना बढ़ गया कि पांच थानों की फोर्स को मौके पर पहुंचना पड़ा। जिसके बाद पुलिस की मौजूदगी में दलित दूल्हे की घुड़चढ़ी कराई गई। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में बताते है।

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जानें क्या है पूरा मामला?

दलितों पर अत्याचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन दलितों पर अत्याचार की खबरें सामने आती रहती हैं। एक बार फिर उत्तर प्रदेश में सहारनपुर जिले के टोडरपुर गांव में दलित दूल्हे की घोड़चढ़ी को लेकर विवाद खड़ा हो गया। दरअसल, चिलकाना थाना क्षेत्र में अनुसूचित जाति की बारात की घोड़चढ़ी में शामिल डीजे पर मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने आपत्ति जताई और उसे अपने मोहल्ले से निकलने से इनकार कर दिया।

खबर का पता चलने पर हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने मौके पर हंगामा कर दिया। मामला बिगड़ता देख एएसपी ने मौके पर पहुंचकर दोनों पक्षों से बात की और समझौता कराकर भारी पुलिस बल की मौजूदगी में बिना डीजे के घोड़चढ़ी संपन्न कराई गई। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बताया कि रोजा खोलने का समय होने वाला था, जिसके चलते डीजे पर प्रतिबंध लगाया गया।

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पुलिस निगरानी में घुड़चढ़ी का समापन

हालांकि समझौते के बाद, भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच, बिना डीजे के उसी मार्ग से घोड़चढ़ी (शादी की बारात) निकाली गई। इस अवसर पर बजरंग दल के प्रखंड प्रमुख हरीश कौशिक, भीम आर्मी के जिला अध्यक्ष सन्नी वालिया, आयुष महाराज, सैनी संगठन के जिला सचिव सचिन रामदेव सैनी, प्रवीण कुमार, सौरभ, विशाल चौहान आदि लोग उपस्थित रहे। एक गली से बारात निकालने को लेकर एक मामूली विवाद उत्पन्न हुआ था, जिसे संबंधित पक्षों ने मौके पर पहुँचकर सुलझा लिया। उस समय व्रत खोलने का समय भी नजदीक था, जिसके कारण दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से बारात को बिना डीजे के गंतव्य तक पहुँचाने का निर्णय लिया।

आपको बता दें कि यह पहला मामला नहीं है, हर दिन ऐसे कई मामले सामने आते हैं जहां कभी दलितों की बारात पर हमला कर दिया जाता है तो कभी दलित दुल्हे को घोड़ी नहीं चड़ने नहीं दिया जाता है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इन मामलों के सख्त कानून लागु करने चयिए ताकि को ऐसा कदम उठने से पहले 10 बार सोचे तभी समाज में बदलाव भी मुमकीन हों पायेगा।

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