दलितों के उत्थान के क्रम में सबसे बड़ा कोई रोड़ा है तो वह है ब्राह्मणवाद और मनुवाद…ब्राह्मणवादी चाहते ही नहीं कि समाज से जाति व्यवस्था समाप्त हो और समाज एकजुट होकर आगे बढ़ सके…3000-3500 सालों से दलितों को दबाने वाले ये सामाजिक ठेकेदार आज भी उन्हें आगे बढ़ते नहीं देख सकते…आज के समय में दलित समुदाय अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है…अपनी आवाज उठा रहा है…समाज के लोग पढ़ लिख कर सरकारी नौकरियां कर रहे हैं…लेकिन पढ़े लिखे दलितों को भी मनुवादी पचा नहीं पा रहे हैं…सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह नगर गोरखपुर में एक दलित युवक के साथ ऐसी वीभत्स घटना को अंजाम दिया गया था, जिसे सुनकर आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे…
ब्राह्मण लड़की के साथ प्रेम विवाह करने के कारण गड़ासे से काटकर एक दलित युवक की हत्या कर दी गई थी…खबर मीडिया की हेडलाइन से गायब थी…न किसी ने सवाल पूछे और न ही दोषियों को फांसी की सजा हुई…
गड़ासे से काटकर एक दलित युवक की हत्या
दरअसल, 24 जुलाई 2021 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में अनीश नाम के दलित युवक की हत्या कर दी गयी थी…अनीश ADO पंचायत (पंचायत अधिकारी) पद पर तैनात थे। उन्होंने प्रेम विवाह किया था और उनकी पत्नी ब्राह्मण समाज से थी। लड़की का नाम दीप्ति मिश्रा है। इस हत्या के पीछे अंतरजातीय विवाह का आरोप लगा था..मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस विवाह से लड़की पक्ष के लोग काफी नाराज थे। बताया गया कि लड़की के परिवारवालों कुछ अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर इस हत्याकांड को अंजाम दिया और अनीश की हत्या दिन-दहाड़े गड़ासे से काटकर दर्दनाक तरीके से कर दी गई। इस घटना ने न सिर्फ अनीश की जान ले ली, बल्कि समाज में जाति आधारित हिंसा की गहरी जड़ों को भी उजागर कर दिया…
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अनीश की पत्नी दीप्ति मिश्रा ने दावा किया था कि उनका परिवार उनकी शादी से खुश नहीं था। अनीश और दीप्ति ने अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई एक साथ गोरखपुर के पंडित दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय में पढ़ाई की। कैंपस मीटिंग के दौरान अनीश और दीप्ति को ग्राम पंचायत अधिकारी के पद के लिए चुना गया था। नौकरी मिलने के बाद अनीश से उनकी पहली मुलाकात 9 फरवरी, 2017 को गोरखपुर के विकास भवन में हुई थी।
उसी पद के लिए चयन के बाद, विश्वविद्यालय के परिसर में होने वाली बैठकों की संख्या बढ़ने लगी। जैसे-जैसे वे एक साथ प्रशिक्षण लेते गए, वे एक-दूसरे के और करीब आते गए। इसके बाद उन्होंने सामाजिक मान्यताओं और जातिगत बंधनों को दरकिनार करते हुए 2019 में शादी का फैसला किया।
अनीश और दीप्ति ने अपनी शादी को कोर्ट में रजिस्टर्ड कराया. शादी के काग़ज़ात के मुताबिक दोनों ने 12 मई 2019 को गोरखपुर में शादी कर ली थी. उनकी शादी को अदालत ने 9 दिसंबर 2019 को मान्यता दे दी थी.
दीप्ति बताती हैं, ”हम दोनों बालिग थे और नौकरी-पेशा थे, इसलिए लगता था कि इस शादी का घरवाले विरोध नहीं करेंगे और अगर करेंगे भी तो हम उन्हें मना लेंगे. मैंने अपने परिवार वालों को काफ़ी समझाने-बुझाने की भी कोशिश की. लेकिन वो नहीं माने.”
वो बताती हैं, ”अनीश से शादी की बात पता चलने के बाद परिवार वाले मुझे मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने लगे. कभी पिता बीमार पड़ जाते थे तो कभी मां. पिता कहते थे, मुझे अटैक आ जाएगा और मैं मर जाऊंगा. जब मैं नहीं मानती थी तो मेरे परिवार वाले अनीश को जान से मार देने की धमकी देते थे. अनीश की सुरक्षा के लिए मुझे कई बार अपने घरवालों की बात माननी पड़ी और उनके कहे मुताबिक़ काम करना पड़ा. मैं अनीश को हर क़ीमत पर बचाना चाहती थी.”
शादी के कुछ समय बाद ही दोनों परिवारों के बीच तनाव बढ़ गया। दीप्ति मिश्रा के परिवार ने इस शादी को कभी स्वीकार नहीं किया और लगातार अनीश और दीप्ति पर दबाव बनाया। अनीश और उनकी पत्नी को सामाजिक स्तर पर कई धमकियों का सामना करना पड़ा। दीप्ति के पिता ने अनीश के ख़िलाफ़ मुक़दमा कर दिया था. इसमें उन पर बलात्कार जैसे कई आरोप लगाए गए थे. दीप्ति बताती हैं कि इस मामले में उन्होंने परिजनों के दबाव में अनीश के ख़िलाफ़ बयान दिया क्योंकि वो अनीश की हत्या कर देने की धमकी देते थे.
इसके बाद एक रोज अनीश कुमार चौधरी अपने काम से वापस लौट रहे थे, तभी अज्ञात हमलावरों ने उन पर हमला कर दिया…घटना के समय अनीश के चाचा अनिल चौधरी भी उनके साथ थे लेकिन हमलावरों ने उन पर भी जानलेवा हमला कर दिया…अनिल तो बच गए लेकिन अनीश चौधरी की जान नहीं बचाई जा सकी…उसके बाद अनिल चौधरी के बयान के आधार पर पुलिस ने 17 लोगों को नामजद बनाया और 4 लोगों को गिरफ्तार किया…
लंबे समय तक चले इस जांच में सामने आया कि इस हत्या के पीछे दीप्ति मिश्र के परिवार के सदस्यों और उनके समुदाय के कुछ लोगों का हाथ था। उन्हें यह विवाह अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए अपमानजनक लगा और उन्होंने इसे ‘इज्जत’ से जोड़कर हत्या की साजिश रची गई थी..
यह घटना समाज में व्याप्त जातिगत भेदभाव और ‘ऑनर किलिंग’ की कड़वी सच्चाई को दर्शाती है। अनीश कुमार चौधरी की हत्या ने दिखा दिया कि भारत के कुछ हिस्सों में आज भी लोग अपने सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों की रक्षा के लिए जाति के आधार पर हिंसा का सहारा लेते हैं।
अनीश कुमार चौधरी की हत्या एक दुखद और झकझोर देने वाली घटना है, जो समाज में व्याप्त जातिगत विभाजन और ऑनर किलिंग की प्रवृत्ति को उजागर करती है। यह घटना दर्शाती है कि समाज का एक बड़ा हिस्सा अभी भी प्रेम और विवाह की स्वतंत्रता को स्वीकार करने में पीछे है, और जाति की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है। ऐसी घटनाएं हमारे समाज में सामाजिक सुधार और जागरूकता की तत्काल आवश्यकता को दर्शाती हैं।