दलितों को हमेशा से शिक्षा से रोका गया…उन्हें दुत्कारा गया….प्रताड़ित किया गया…मनुवादियों ने उन्हें समाज में उठने नहीं दिया…लेकिन दलितों ने समाज में अपनी दुर्दशा से मुक्ति के लिए संघर्ष करना शुरु किया…महात्मा ज्योतिबा फुले ने दलितों में जज्बा जगाया तो बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने उन्हें शिक्षा के लिए प्रेरित किया…आज के समय में दलित समुदाय के लोग हर क्षेत्र में परचम लहरा रहे हैं…मनुवादियों की सामाजिक बेड़ियों को तोड़ते हुए समाज आज विश्व जीतने की ओर बढ़ चला है…दलित शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए समय समय पर कई प्रयास हुए हैं…इन्हीं प्रयासों में से एक है हरियाणा के रोहतक का दलित स्कूल…जहां देश भर से दलित बच्चे आकर पढ़ाई कर सकते हैं….
गुरु रविदास एजुकेशन सोसाइटी
यह स्कूल गुरु रविदास एजुकेशन सोसाइटी के नाम से प्रसिद्ध है। यह स्कूल रोहतक के आर्य नगर में स्थित है। इस स्कूल के प्रबंधक का नाम जगबीर सिंह अहलावत है। स्कूल प्रबंधक के अनुसार इस स्कूल की स्थापना 1945 में हुई थी। इसकी स्थापना केर सिंह तूर, मास्टर लक्ष्मण सिंह, अमर सिंह, चांदराम, रूपचंद्र, स्वामी भजनंद ने मिलकर की थी। 1945 के समय इस स्कूल का नाम चमार एजुकेशन सोसाइटी था, लेकिन बाद इस स्कूल का नाम बदलकर गुरु रविदास एजुकेशन सोसाइटी कर दिया गया।
इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य दलित बच्चों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और नैतिक मूल्यों के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता प्रदान करना है। इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को न केवल निःशुल्क शिक्षा बल्कि निःशुल्क आवास, भोजन और अन्य सभी आवश्यक सुविधाएँ भी प्रदान की जाती हैं। स्कूल का उद्देश्य न केवल बच्चों को शिक्षित करना है बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाना और उनमें आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास विकसित करना भी है। यह स्कूल दलित बच्चों को मुख्यधारा में लाने और उन्हें समाज में समान अवसर दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
आवश्यक शैक्षणिक सुविधाएँ
यह विद्यालय सभी आवश्यक शैक्षणिक सुविधाएँ प्रदान करता है, जिसमें विज्ञान, गणित, भाषा और सामाजिक विज्ञान जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं। इसके साथ ही बच्चों को आधुनिक तकनीकी शिक्षा और कंप्यूटर प्रशिक्षण भी दिया जाता है, ताकि वे आधुनिक दुनिया में प्रतिस्पर्धा कर सकें। यहाँ बच्चों की अंग्रेजी और हिंदी में दक्षता पर समान जोर दिया जाता है, ताकि वे भविष्य में किसी भी क्षेत्र में सफल हो सकें। इसके साथ ही विद्यालय में नियमित रूप से शारीरिक शिक्षा, खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, ताकि बच्चों का समग्र विकास हो सके।
स्कूल में सभी बच्चों के लिए मुफ्त रहने और खाने की व्यवस्था की जाती है। यह सुविधा खास तौर पर उन बच्चों के लिए है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जिनके पास शिक्षा प्राप्त करने के लिए जरूरी संसाधन नहीं हैं। हालांकि, यहां केवल बिजली का शुल्क शामिल है जिसकी कीमत मात्र 600 रुपये है।
आपको बता दें कि इस स्कूल की सबसे खास बात यह है कि यहां हरियाणा ही नहीं बल्कि पूरे देश से दलित बच्चे आकर मुफ्त शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। स्कूल में दाखिले की प्रक्रिया बेहद सरल है और स्कूल प्रशासन बच्चों का चयन करते समय उनकी शैक्षणिक योग्यता के साथ-साथ उनके परिवार और आर्थिक स्थिति को भी ध्यान में रखता है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि जिन बच्चों को शिक्षा की सबसे ज्यादा जरूरत है, वे यहां आकर इसका लाभ उठा सकें।