चमार (Chamar) अगर आज आपको कोई ये तीन अक्षर का शब्द बोल दें, तो आप इगनोरे (Ignore) करके अपने रास्ते चल देंगे या फिर ये सोचकर की किसी ने आपका अपमान किया है उससे लड़ाई करेंगे और उसके बाद एक और विकल्प चुनेंगे जो है क़ानूनी करवाई (legal action) का है इसमें गलती किसी की भी नहीं है, हमारे समाज में जाति के ठेकेदारों ने आपको भी ये कदम उठाने पर मजबूर ही किया है. लेकिन अब “चमार” एक ऐसा ब्रांड है जिसने विदेशों में झंडे गाड़ दिए हैं और अब चमार जो कि एक भारतीय ब्रांड है पर अब इंटरनेशनल लेवल (international level) पर धूम मचा रहा है.
“चमार” एक ऐसा ब्रांड है जिसने विदेशों में मचाई धूम
इस कहानी की शुरआत होती है उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के जौनपुर जिले (Jaunpur District) से जहां सुधीर राजभर (Sudhir Rajbhar) नाम के एक लड़के का जन्म होता है. पैदा होने के तुरंत बाद ही सुधीर के माता पीता उसे मुंबई लेकर चले जाते हैं. सुधीर राजभर मुंबई में पले- बढ़े, मुंबई से ही ड्राइंग और पेंटिंग में बैचलर की पढ़ाई की। हालंकि सुधीर मुंबई (Mumbai) में ही रहे लेकिन जब भी वो अपने गांव जाते तो अकसर उन्हें उनकी जाति (cast) के नाम पर ताने दिए जाते थे. इस अपमान का उन्हें काफी दुःख होता वो अक्सर ये सोचा करते की क्यों जाती ही सब कुछ है. इसी अपमान की वजह से सुधीर ने खुद से एक वादा किया कि वो इस शब्द के प्रति सम्मान वापस लाएंगे.
सम्मान वापस लाने के लिए किया काम
सुधीर कहते हैं “जब भी मैं अपने पैतृक गांव जाता था तो मुझे वहां लोग मेरे सर नेम के आखरी शब्द यानी ‘भर’ और ‘चमार’ का परस्पर प्रयोग करते हुए मुझे चिढ़ाते थे। जिसे ज्यादातर अपमान के रूप में बोला जाता है। खासकर किसी व्यक्ति को नीचा दिखाने के लिए, मैं इस शब्द के प्रति सम्मान वापस लाना चाहता हूं साथ ही उन लोगों को उनका काम वापस दिलाना चाहता हूं जिनकी पहचान चमड़े के काम से थी” फिर क्या था सुधीर की लड़ाई शुर्रू हो गई.
पहले किया WASTE मटेरियल का इस्तेमाल
सुधीर ने सबसे पहले ये रिसर्च करी कि आखिर चमार का मतलब होता क्या है? दरअसल, चमड़े का काम करने वाले लोगों को चमार (CHAMAR) कहा जाता था। इसलिए उन्होंने वहीं काम चुना लेकिन यहाँ थोड़ा ट्विस्ट था उन्होंने चमड़े का इस्तेमाल न करके वेस्ट (WASTE) मटेरियल का इस्तेमाल किया प्रोडक्ट्स बनाने के लिए और चमार शब्द को एक ब्रांड में बदल गया.
झुग्गी बस्ती धारावी से शुरू किया ‘चमार स्टूडियो’
साल 2018 में सुधीर ने एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती ‘धारावी’ (Asia largest slum Dharavi) के छोटे से कोने से इस सफ़र की शुरुआत की. एक ब्रैंड खोला और इसे नाम दिया ‘चमार स्टूडियो’. सुधीर ने अपने इस ब्रांड के द्वारा अनुसूचित जाति (scheduled caste) और मुस्लिम समाज (Muslim community)के कई लोगों को काम दिया.
पहले बनाये कपड़े के बैग
पहले शुरुआत में सुधीर कपड़े के बैग (Cloth Bag) बनाते थे लेकिन फिर उन्होंने जाति से जुड़े इस शब्द को लोगों के बीच लाने का फैसला किया ताकि लोग समझ पाएं कि चमार कोई जाति नहीं बल्कि एक पेशा है. वहीं सुधीर के चमार ब्रांड के प्रोडक्ट्स छोटे स्टोर सहित कई बड़े शोरूम तक में उपलब्ध हैं. इसके साथ ही ये ब्रांड ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर भी आ गया है. इसके अलावा इनके कई प्रोडक्ट अमेरिका (America),जर्मनी (germany) और जापान (Japan) भी भेजे गए हैं. हालांकि सुधीर ने इस ब्रांड को अभी तक किसी स्टोर की शक्ल नहीं दी है.
CHAMAR HAVELI का प्रोजेक्ट किया शुरू
इसके साथ ही सुधीर ने चमार हवेली (CHAMAR HAVELI) नाम से भी एक प्रोजेक्ट शुरू किया है. इसके लिए उन्होंने राजस्थान में 300 साल पुरानी हवेली खरीदी है. सुधीर इसे एक ऐसी जगह बनाना चाहते हैं जहां दुनियाभर के आर्टिस्ट आकर रुक सकें.