सुप्रीम कोर्ट स्टेटस पैनल को विस्तार मिला: दलित धर्मांतरण पर आयोग को रिपोर्ट सौंपनी बाकी

KG balakrishnan, Bheemrao Ambedkar
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SC status panel extension news: केंद्र ने हाल ही में उस विशेष पैनल को अतिरिक्त समय देने का निर्णय लिया है जो देश में दलित समुदाय के धर्मांतरण से जुड़े मुद्दों पर अध्ययन कर रहा है। यह आयोग इस बात का आकलन कर रहा है कि विभिन्न धर्मों में धर्मांतरण के बाद दलित समुदाय (Dalit Community) की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा है। केंद्र सरकार द्वारा 2022 में गठित जांच आयोग को इस जांच के लिए एक साल का समय दिया गया है।

बालाकृष्णन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय आयोग- SC status panel extension news

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा 30 अक्टूबर को जारी गजट अधिसूचना के अनुसार भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केजी बालाकृष्णन (Former Chief Justice KG Balakrishnan) की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय आयोग को अब 10 अक्टूबर, 2025 तक का समय दिया गया है। आयोग द्वारा अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए अतिरिक्त समय मांगे जाने के बाद 1 नवंबर की अधिसूचना के माध्यम से औपचारिक रूप से यह निर्णय लिया गया, जिसे पहले 10 अक्टूबर को अपना काम पूरा करना था। जांच आयोग अधिनियम, 1952 के तहत 6 अक्टूबर, 2022 को जांच आयोग का गठन किया गया था।

तीन धर्म शामिल

वर्तमान में, संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 के अनुसार, केवल हिंदू, सिख या बौद्ध धर्म के लोग ही अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत होने के पात्र हैं। आयोग को उन दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने की संभावना की जांच करने का काम सौंपा गया है, जिन्होंने उक्त आदेश में उल्लिखित तीन धर्मों के अलावा किसी अन्य धर्म को अपनाया है।

आयोग का गठन और अधिसूचना अक्टूबर 2022 में की गई थी, ठीक उसी समय जब सुप्रीम कोर्ट दलित मुसलमानों और ईसाइयों के लिए अनुसूचित जाति का दर्जा मांगने वाली याचिकाओं पर सुनवाई फिर से शुरू करने वाला था।

20 सालों से शीर्ष अदालत में मामला लंबित

यह मामला पिछले 20 सालों से शीर्ष अदालत में लंबित है। पैनल को शुरू में यह काम पूरा करने और 10 अक्टूबर, 2024 तक अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए दो साल का समय दिया गया था।

फील्ड विजिट

आयोग (SC status panel extension) अपने काम का एक अहम पहलू – इस साल अगस्त तक अपने फील्ड विजिट शुरू नहीं कर पाया था, क्योंकि पैनल को ज़रूरी स्टाफ़ उपलब्ध नहीं कराया गया था, इसके कामकाज से वाकिफ़ कई सूत्रों ने द हिंदू को बताया। उनमें से एक ने कहा, “आयोग को अब लगभग छह महीने में बचा हुआ काम पूरा कर लेना चाहिए।”

पैनल फिलहाल फील्ड विजिट के बीच में है, जहां वह हित समूहों के साथ सार्वजनिक परामर्श कर रहा है। यह सार्वजनिक सुनवाई के लिए केरल, गुजरात, बिहार, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में पहले ही जा चुका है। आयोग आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों का दौरा करने की भी योजना बना रहा है, जहां जनता से फीडबैक लेने के लिए इसी तरह की सुनवाई निर्धारित की गई है।

एक सूत्र ने कहा, “अब जब विस्तार दिया गया है, तो आयोग की अगली बैठक में आगे के दौरों की योजना बनाई जाएगी।”

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