आज के समय में भारत में कई बड़े बिज़नेस मेन हैं. जिन्होंने अपनी काबिलियत और जातिगत बंधन को तोड़कर समाज को एक आईना दिखाया है. यूं तो दलित (Dalit) समाज शुरुआत से सामाजिक उपेक्षाओं की वजह से आर्थिक रूप से कमजोर रहा, उच्च जाति के समाज ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया था. लेकिन कुछ दलितों ने समय के साथ अपनी मेहनत के बल पर देश ही नहीं बल्कि दुनिया में अपनी सफलता का झंडा गाड़ा. इनमें कई नाम हैं, तो चलिए हम आपको इस लेख में दुनिया के 10 दलित अरबपति के बारे में बताते हैं.
भारत के 10 दलित करोड़पति
राजेश सराईया
देश के प्रथम दलित अरबपति माने जाने वाले राजेश सराईया ” स्टील मोंट ट्रेडिंग लिमिटेड” के सीईओ हैं .इसका मुख्यालय डस्सेलडोर्फ जर्मनी में है. सीतापुर, उत्तर प्रदेश में जन्मे राजेश सराईया को 2012 में “प्रवासी भारतीय अवॉर्ड” और 2014 में “पदम श्री” मिल चुका है. इनकी कंपनी के ऑफिस लंदन,कीव, मॉस्को, इस्तानबुल ,दुबई ,मुंबई और तंजानिया में हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक , राजेश सरैया यूक्रेन आधारित कंपनी SteelMont के सीईओ हैं. SteelMont की वेबसाइट के मुताबिक, वर्तमान में कंपनी का टर्नओवर 350 मिलियन डॉलर यानि करीब (लगभग 26,42,67,50,000 रुपये) है. उनकी कंपनी मेटल सेक्टर में काम करती है.
चंद्रभान प्रसाद
चंद्रभान आजाद भारत के पहले दलित थे जिनका किसी अंग्रेजी अखबार (दि पायनियर) में अपना कॉलम छपता था. वर्तमान में चंद्रभान दलित विमर्श में सबसे प्रसिद्ध और कार्यरत विद्वान हैं. आर्थिक समानता को सामाजिक समानता के लिए जरूरी मानते हुए उन्होंने दलित निर्माताओं के लिए ई-कॉमर्स साइट bydalits.com की शुरुआत की है. वे कहते हैं ” दलित मध्यम वर्ग को अंबेडकर की तरह सुंदर ढंग से कपड़े पहनने चाहिए”. वर्तमान में वे DICCI में सलाहकार भी है.
भगवान गवई
महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के अत्यंत गरीब दलित परिवार में जन्मे भगवान गवई की कहानी किसी फिल्मी फसाने की तरह है .100-200 की दिहाड़ी मजदूरी करने वाले भगवान गवई आज “सौरभ एनर्जी” के मालिक हैं .अन्य दलित एंटरप्रेन्योर को सहयोग देने के लिए उन्होंने 30 युवा मेधावी दलितों को चुना है और अपनी ‘ मैत्रीय डेवलपर’ नामक दूसरी कंपनी के माध्यम से उनके आइडिया में निवेश कर रहे हैं. वही मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आज के समय में उनके पास कुल 128 करोड़ की सम्पति हैं.
सुधीर राजभर
मुंबई में जन्मे कलाकार और सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर राजभर अपने क्रिएटिव एंटरप्राइज “दि चमार स्टूडियो” के माध्यम से दलितों के सामाजिक आंदोलन को फैशन के क्षेत्र में भी आगे बढ़ा रहे हैं. मुंबई के कांदिवली स्लम से आने वाले राजभर ने 2017 में जहांगीर आर्ट गैलरी में भाग लिया और अपने “डार्क होम्स” नामक काम को प्रस्तुत किया. इसके साथ ही सुधीर ने चमार हवेली (CHAMAR HAVELI) नाम से भी एक प्रोजेक्ट शुरू किया है. इसके लिए उन्होंने राजस्थान में 300 साल पुरानी हवेली खरीदी है. सुधीर इसे एक ऐसी जगह बनाना चाहते हैं जहां दुनियाभर के आर्टिस्ट आकर रुक सकें.
कल्पना सरोज
महाराष्ट्र के विदर्भ में जन्मीं कल्पना सरोज की शादी मात्र 12 साल की उम्र में हो गई. वह पति के परिवार द्वारा घरेलू हिंसा के कारण ससुराल छोड़ मुंबई आकर अपने रिश्तेदार के साथ रहने लगीं. अपनी बचत से छोटे फर्नीचर का कारोबार शुरू किया . 2001 में उन्होंने बंद पड़ी कामिनी ट्यूब्स को खरीदा और उसको मुनाफे वाली कंपनी बना दिया.अभी वो उसकी सीईओ हैं. वही अगर कुल सम्पति की बात करें तो उनके पास 112 मिलियन डॉलर की निजी संपत्ति है.
राजा नायक
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि दलित परिवार में जन्मे राजा नायक 17 साल की उम्र में घर से भागकर मुंबई आए. यहां उन्होंने कपड़े बेचे, कोल्हापुरी चप्पलें बेचीं और आज उनका सालाना टर्नओवर 60 करोड़ का है .वर्तमान में वे DICCI( कर्नाटक ) के प्रेसिडेंट हैं .कला निकेतन शिक्षण संस्थान के स्कूल और कॉलेजों के जरिए वो पिछड़े और गरीब तबके के विद्यार्थियों को शिक्षा उपलब्ध कराते हैं. इसके अलवा वो समाज सेवा के लिए कई बड़े कार्य करते हैं.
अशोक खाडे
महाराष्ट्र के सांगली जिले से ताल्लुक रखने वाले अशोक खाड़े मोची पिता के घर जन्मे थे. उन्होंने बचपन से ही अपने घर में गरीबी देखी लेकिन आज के समय पर वो “दास ऑफशोर” के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. अपने गांव से शिक्षा पूरी करने के बाद कॉलेज गए .पहले सरकारी बंदरगाह पर काम करते हुए कुशलता प्राप्त की और फिर अपनी खुद की कंपनी शुरू की. आज इनकी कंपनी 4500 लोगों को रोजगार दे रही है तथा उसका सालाना टर्नओवर 500 करोड़ का है.
मिलिंद कांबले
भारतीय दलितों को एंटरप्रेन्योरशिप के क्षेत्र में सबसे ज्यादा सहायता देने वाली संस्था DICC की स्थापना मिलिंद कांबले ने की है. DICC ने sc-st समुदाय के बीच व्यापार और इनोवेशन के माध्यम से लीडरशिप की कुशलता को बढ़ाने का काम किया है .वर्तमान में इसके 10 हजार से अधिक सदस्य हैं .मिलिंद कांबले को 2013 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया.
हरिकिशन पिल्लन
अपनी शिक्षा के लिए हरिकिशन पिल्लन ने रिक्शा चलाया ,पिता को दिल का दौरा पड़ने पर परिवार की देखभाल की और आज 64 वर्षीय हरिकिशन 100 करोड़ के सालाना टर्नओवर वाले व्यवसाय के मालिक हैं. उन्होंने आगरा कैंट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ा.
डॉ श्याम कुमार
देवबंद के दलित कारखाना मजदूर के घर जन्मे डॉ श्याम कुमार जब मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने गए तब पहली बार उन्होंने नए जूते पहने थे .आज वे उत्तर प्रदेश के हापुड़ में देव नंदिनी हॉस्पिटल चलाते हैं. 100 बेड वाले इस हॉस्पिटल में 36 डॉक्टर और 350 स्टाफ कार्यरत. अब करोड़पति कुमार ने अपना घर एंटी मनु बनवाया है, यानी मनुस्मृति के ठीक उलट.