SC-ST Women Leaders: इन 10 दिग्गज दलित महिला नेताओं से आप भी ले सकते हैं प्रेरणा

Mayawati, SC-ST Women Leaders
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Top 10 Inspirational SC-ST Women Leaders in India: भारत में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है। इन महिलाओं ने सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों में कई बाधाओं को पार करते हुए सफलता प्राप्त की है। ये महिलाएं न केवल अपने समुदाय के लिए बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

एससी-एसटी महिला नेताओं के नाम 

यहां टॉप 10 प्रेरणादायक एससी-एसटी महिला नेताओं की सूची है, जिन्होंने समाज में महत्वपूर्ण बदलाव लाने के लिए अपने जीवन को समर्पित किया और प्रभावशाली कार्य किए तो चलिए आपको इस लेख में उन महिलाओ के बारे में विस्तार से बताते है।

1.डॉ. द्रौपदी मुर्मू (Dr. Draupadi Murmu) – भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति। उन्होंने आदिवासी समुदाय के लिए आवाज उठाई है और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। डॉ. द्रौपदी मुर्मू भारतीय राजनीति में एक प्रमुख नेता हैं और वे भारत की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने 25 जुलाई 2022 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली और वे भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनीं। डॉ. मुर्मू की जीवन यात्रा और उनके योगदान भारतीय समाज में बहुत प्रेरणादायक हैं, खासकर आदिवासी समुदाय और महिलाओं के लिए।

2.ऊदादेवी पासी (Udadevi Pasi) – एक वीर महिला योद्धा थीं, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था। वह उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले की निवासी थीं। ऊदादेवी ने 1857 के विद्रोह, जिसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली क्रांति कहा जाता है, में भाग लिया था।

3.बेबीरानी टुडू (Bebirani Tudu) – ओडिशा की एक प्रमुख एससी महिला नेता, जो आदिवासी समुदाय की महिलाओं की शिक्षा और उनके अधिकारों के लिए कार्य करती हैं। वह कई आंदोलनों की अगुवाई कर चुकी हैं।

4.मायावती (Mayawati) – उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भारतीय राजनीति में अपनी खास पहचान बनाई। उन्होंने विशेष रूप से दलित और पिछड़ी जातियों के लिए कार्य किए हैं और समाज में समानता लाने के लिए संघर्ष किया है। मायावती ने अपनी राजनीति में हमेशा उन लोगों के अधिकारों की रक्षा की है जिन्हें समाज में हाशिए पर रखा जाता है, जैसे कि दलित, पिछड़ी जातियां और आदिवासी लोग।

5.सुरजीत कौर (Surjit Kaur) – पंजाब की एक प्रमुख एससी महिला नेता, जो दलित महिलाओं के अधिकारों के लिए कार्य करती हैं। वह कई सामाजिक आंदोलनों की नेतृत्वकर्ता रही हैं। सुरजीत कौर बीबी कालकट 90 के दशक में विधानसभा हलका टांडा से कांग्रेस पार्टी की टिकट पर चुनाव जीतकर 2 बार विधायक और एक बार कैबिनेट मंत्री बनीं। बीबी कालकट ने अपना सारा जीवन टांडा हलके के लोगों की सेवा के लिए लगाया। वे अपनी जिंदगी के आखिरी पड़ाव में चंडीगढ़ चले गए।

6.आशा देवी (Asha Devi) – बिहार की एक दलित महिला नेता जो एससी समुदाय की महिलाओं के लिए शिक्षा, रोजगार और सामाजिक समानता के लिए काम करती हैं। आशा देवी आर्ययानाकम एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद् और गांधीवादी थी। वह महात्मा गांधी के सेवाग्राम और विनोबा भावे के भूदान आंदोलन के साथ जुड़ी हुए थी।

7.चंद्रकला देवी (Chandrakala Devi)- उत्तर प्रदेश में दलित समुदाय की प्रमुख महिला नेता, जिन्होंने कई महिला अधिकारों की योजनाओं को लागू किया और एससी समाज के लिए कई नई पहल की।

8.कुमारी सैलजा (Kumari Selja) भारतीय राजनीति में एक प्रमुख नेता हैं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) पार्टी की वरिष्ठ सदस्य हैं। वे हरियाणा राज्य से हैं और भारतीय राजनीति में विशेष रूप से दलित समुदाय और महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने के लिए जानी जाती हैं।, जो महिलाओं की शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य करती हैं। उन्होंने कई योजनाओं को लागू किया है जो एससी समुदाय की महिलाओं को सशक्त बनाती हैं।

9.शांति देवी (Shanti Devi) – राजस्थान की एक प्रमुख एससी महिला नेता, जिन्होंने विशेष रूप से दलित महिलाओं के लिए स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में काम किया है। ओडिशा की सामाजिक कार्यकर्ता और गरीबों की आवाज़ के रूप में याद की जाने वाली पद्म श्री पुरस्कार विजेता शांति देवी का निधन हो गया है। वह 88 वर्ष की थीं। उन्हें लुगदी देवी के नाम से भी जाना जाता था। वह वंचित समुदाय के प्रति अपने समर्पण और ओडिशा में माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए जानी जाती थीं। उन्हें 9 नवंबर, 2021 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार मिला।

10. रमाबाई भीमराव (Ramabai Bhimrao) – रमाबाई भीमराव अंबेडकर (7 फरवरी 1898 – 27 मई 1935) बीआर अंबेडकर की पत्नी थीं, जिन्होंने कहा कि उनका समर्थन उनकी उच्च शिक्षा और उनकी वास्तविक क्षमता को आगे बढ़ाने में सहायक था। वह कई विवादों का विषय रही हैं। जीवनी संबंधी फ़िल्में और किताबें। भारत भर में कई ऐतिहासिक स्थलों का नाम उनके नाम पर रखा गया है।

यह महिलाएं अपने संघर्ष और समर्पण से न केवल अपने समुदाय को सशक्त बना रही हैं, बल्कि समाज में समग्र बदलाव लाने के लिए भी कार्यरत हैं।

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