Untouchability Case: इस गांव में 50 सालों से नाई नहीं करता दलितों की हजामत, मच गया बवाल!

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Untouchability Case: टीकमगढ़ जिले में दलित समाज के लोगों की हजामत बनाने से इन्कार करने वाले एक नाई के खिलाफ दर्जनभर लोगों ने थाने में शिकायत दर्ज करवाई है. लोगों का आरोप है कि नाई दलित समाज के लोगों की दाढ़ी नहीं बनाता है, जिससे उन लोगों को दाढ़ी और हेयर कट के लिए गांव से दूर 10  किलोमीटर दूर टीकमगढ़ शहर जाना पड़ता है.

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जानें क्या है पूरा मामला?

दलितों की हजामत नहीं बनाने के मामले में पुलिस ने नाई पर मामला दर्ज कर लिया है. यह मामला जिले के हीरानगर गांव का है, जहां नाई द्वारा दलित समाज के लोगों की हजामत नहीं बनाने की प्रथा पिछले 50 सालों से चली आ रही है. गांव का नाई छुआछूत के चलते वंशकार जाति के लोगों की कटिंग, सेविंग, दाढ़ी और मुंडन आदि नहीं करते हैं. इस मामले में पुलिस का कहना है कि नाई के ख़िलाफ़ एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है और आगे की कार्रवाई की जा रही है.

वही दलित समुदाय का आरोप है कि वंशकार समाज के लोगों को बदनाम किया जाता है, जिसके कारण उनके परिवार के बच्चों और बुजुर्गों को अपमान का सामना करना पड़ता है. दलित समुदाय की याचिका पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मामला सही पाए जाने पर दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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50 सालों से वंशकार जाति के लोगों पीड़ित

रिपोर्ट के अनुसार, जिले के हीरानगर गांव के वशंकार जाति के लोग पिछले 50 सालों से इससे पीड़ित हैं, जिसके कारण उन्हें मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है। थाने में दर्ज शिकायत के अनुसार, दलित परिवारों में अंतिम संस्कार और मुंडन संस्कार के लिए भी नाई का इस्तेमाल नहीं किया जाता है, जिसके कारण वे सामाजिक रूप से बहिष्कृत महसूस करते हैं।

दलित समुदाय ने थाने में दर्ज शिकायत में अपना दर्द बयां करते हुए न्याय की गुहार लगाई है। शिकायतकर्ताओं में शामिल सुरेश बांसकार, जगदीश बांसकार, कपिल, दिनेश, विवेक और रामचरण बांसकार ने कहा कि नाई उन्हें अपमानित करने के लिए उनकी दाढ़ी नहीं बनाता है।

बता दें, यह मामला जातिवाद और सामाजिक भेदभाव के संदर्भ में उठाया गया था, जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की और नाई के खिलाफ कार्रवाई की बात की। वही यह घटना सामाजिक असमानताओं और भेदभाव के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने का एक उदाहरण बन गई है, और ऐसे मामलों में लोगों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाना जरूरी है।

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