लालजी प्रसाद निर्मल ने अखिलेश यादव पर क्यों लगाए गंभीर आरोप, जानिए वजह

Chairman Dr. Lalji Prasad Nirmal, UP news
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UP News: हाल ही में लालजी प्रसाद निर्मल (Dr. Lalji Prasad Nirmal)ने यह आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सबसे ज्यादा दलितों को नुकसान पहुँचाया। यह बयान राजनीतिक संदर्भ में दिया गया है, और उनका दावा है कि अखिलेश यादव की नीतियों और शासनकाल के दौरान दलित समुदाय के हितों की अनदेखी की गई, जिससे उनके सामाजिक और आर्थिक स्थिति में कोई सुधार नहीं हो सका। तो चलिए आपको इस लेख में इस पुरे मामले के बारे में बताते हैं।

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क्या कहाँ लालजी प्रसाद निर्मल ने – Dr. Lalji Prasad Nirmal

हाल ही में हुए आंबेडकर विवाद पर कई पार्टियों के नेताओ ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी. वही समाज के कुछ दलित संगठन ने तो मोर्चा तक भी निकला था। वही अब वित्त एवं विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल (Dr. Lalji Prasad Nirmal) ने भी पूर्व सीएम (CM) अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर आरोप लगाये है। दरअसल, बीते दिन पूर्व अध्यक्ष डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा कि मौजूदा समय में सियासी दल डॉ आंबेडकर के नाम पर दलितों को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि सबसे ज्यादा दलितों का नुकसान सपा सरकार में किया गया।

अखिलेश यादव ने तो स्मारकों और योजनाओं से बाबा साहब का नाम हटाने का काम किया है। वो बृहस्पतिवार को वीवीआईपी अतिथि गृह में रिपोर्टरस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर के प्रति समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के दृष्टिकोण में बड़ा अंतर है। जहां अखिलेश यादव ने अपने शासनकाल में डॉ. आंबेडकर के नाम को योजनाओं और स्थलों से हटाने का कार्य किया, वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने बाबासाहब को घर-घर पहुंचाने और उनके विचारों को जन-जन तक प्रचारित करने का कार्य किया।

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डॉ. आंबेडकर” का नाम हटाया

मीडिया रिपोर्टर से आगे बात करते हुए डॉ. निर्मल ने अखिलेश यादव को डॉ. आंबेडकर विरोधी बताते हुए कहा कि उनके शासनकाल में बाबा साहब के नाम को योजनाओं और संस्थानों से हटाना प्राथमिक कार्यों में शामिल रहा। उन्होंने बताया कि आंबेडकर ग्राम विकास योजना से “डॉ. आंबेडकर” का नाम हटाया गया। लखनऊ के डॉ. आंबेडकर हरित उद्यान का नाम बदलकर जनेश्वर मिश्र पार्क कर दिया गया। इसके अलवा कई अन्य स्थान से अखिलेश यादव ने “डॉ. आंबेडकर” का नाम बदला हैं।

जबकि उत्तर प्रदेश मुख्यामंत्री आदित्यनाथ ने डॉ. अंबेडकर को घर-घर पहुंचाया। उन्होंने बाबा साहब को सम्मान दिया और उनके विचारों को प्रचारित करने का कार्य प्राथमिकता से किया। उन्होंने बताया कि दिसंबर 2017 में योगी सरकार ने प्रदेश के सभी सरकारी कार्यालयों में डॉ. अंबेडकर की तस्वीर लगाना अनिवार्य किया। कन्नौज मेडिकल कॉलेज का नाम पुनः डॉ. आंबेडकर मेडिकल कॉलेज कर दिया गया। इसके अलवा निर्मल ने कहाँ जहाँ एक तरफ अखिलेश यादव ने अंबेडकर  के नाम को हटाने का पूरा प्रयास किया वही दूसरी और योगी आदित्यनाथ  ने ने बाबा साहब को घर-घर तक पहुंचाने और उन्हें सम्मानित करने का कार्य किया। योगी आदित्यनाथ आज के दलित मित्र हैं, जिन्होंने डॉ. आंबेडकर के विचारों को पुनः स्थापित किया।
आपको बता दें, इस प्रकार के आरोप अक्सर राजनीतिक विमर्श का हिस्सा होते हैं, जहां विभिन्न नेताओं के कार्यकाल के दौरान उनकी नीतियों पर आलोचनाएँ की जाती हैं। दलित समुदाय के अधिकारों और कल्याण के मुद्दे भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं, और ऐसे आरोपों से यह सवाल उठता है कि विभिन्न दलों और नेताओं ने इस समुदाय के लिए क्या ठोस कदम उठाए हैं।

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