Odisha: आदिवासी महिलाओं के साथ हुई हिंसा, महिलाओं को शारीरिक तौर पर पीटा गया

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Balasore News: हाल ही में ओडिशा के कुछ इलाकों में आदिवासी महिलाओं के साथ हुई हिंसा और उनके उत्पीड़न की घटनाएं सुर्खियों में रही हैं. इस तरह की घटनाओं में महिलाओं को शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का शिकार बनाया गया. इनमें से कुछ मामले सार्वजनिक हुए हैं, जहां आदिवासी महिलाओं को शारीरिक तौर पर पीटा गया, जो उनके अधिकारों और गरिमा का उल्लंघन था. तो चलिए आपको इस लेख में उन्हीं में हुए एक मामले एक मामले के बारें में बताते हैं. जहाँ कुछ दलित आदिवासी महिलाओ को पेड़ से बंधकर पिटाई कर दी.

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जानें क्या हैं पूरा मामला

ओडिशा के बालासोर जिले (Balasore News) के छनखानपुर गाँव में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना हुई है. जहाँ क्रिसमस के अगले दिन यानी 26 दिसंबर का एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है. इस वीडियो में दो महिलाएं पेड़ से बंधी हुई दिखाई दे रही हैं. उनके चारों तरफ भीड़ इकट्ठा है. भीड़ उनसे धार्मिक नारे लगवा रही है. मसलन- उन्हें जय श्री राम कहने को मजबूर किया जा रहा है. उनमें से एक के चेहरे पर केक लगाया गया है. दोनों की उम्र 40 साल के करीब बताई जा रही है.

भीड़ का दावा है कि ये महिलाएं धर्मांतरण का जश्न मनाने के लिए केक लाई थीं. इनमें से एक का नाम सुभासिनी सिंह और दूसरी का सुकांति सिंह. भीड़ से घिरीं दोनों महिलाओं के ठीक पीछे ईसा मसीह की फोटो है. आरोप हैं कि भीड़ ने इन दोनों महिलाओं को बेरहमी से पीटा. मामला ओडिशा के बालासोर जिले के एक आदिवासी गांव छनखानपुर का है. इन महिलाओं के ऊपर गांव के एक व्यक्ति का जबरन धर्मांतरण करने का आरोप लगाया गया है. हिंदू धर्म से ईसाई धर्म में धर्मांतरण.

पुलिस ने क्या किया? Balasore News

इसके बाद दोनों औरतों को “जय श्री राम” बोलने और ये कहने के लिए मजबूर किया जाता है कि अब वो धर्म परिवर्तन नहीं कराएंगी. जिसके बाद वहां एक औरत आती है और उन दोनों में से एक औरत को मारती है.  एक दूसरे वीडियो में पुलिस दोनों औरतों को पेड़ से खोल रही है. बालासोर पुलिस के एसपी राज प्रसाद ने बताया है कि मामले में दो FIR दर्ज की गई हैं. एक FIR, भारतीय न्याय संहिता के तहत ज़बरदस्ती धर्म परिवर्तन कराने के आरोप में दोनों महिलाओं समेत उस शख्स के खिलाफ दर्ज़ कराई गई है, जिसका कथित तौर पर धर्म परिवर्तन करना था. दूसरी FIR भीड़ के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) एक्ट, 1989 के तहत दर्ज़ हुई है.

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