एक दूसरे के खून के प्यासे क्यों हो रहे हैं दलित समुदाय के लोग ?

Dalit Community
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इन दिनों वाल्मीकि समाज और जाटव समाज के बीच काफी तनानती देखने को मिल रही है…चंद्रशेखर आजाद के समर्थकों ने हाल ही में गाजियाबाद में भाईचारा सम्मेलन में भी जमकर बवाल मचाया और वाल्मीकि समाज के लोगों की पिटाई तक कर दी थी. बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर से लेकर कांशीराम तक ने हमेशा से दलितों को एकजुट रखने का प्रयास किया…एक दूसरे का हाथ पकड़कर आगे बढ़ाने का प्रयास किया लेकिन दलित आपस में लड़ते रहे और शायद यही कारण है कि आज भी दलित समुदाय एकजुट नहीं है…वाल्मीकि समाज की जाटव समाज से लड़ाई…एससी समुदाय की मोस्ट बैकवर्ड क्लास से लड़ाई…बैकवर्ड क्लास की एससी समुदाय से लड़ाई आज भी देश के कई हिस्सों में जारी है…इसी बीच तमिलनाडु से भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है. तमिलनाडु के एक गांव में मोस्ट बैकवर्ड क्लास यानी सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग के लोगों ने एससी समुदाय के लोगों के  सैलून जाने पर रोक लगा दी है और प्रशासन भी मूकदर्शक बनकर बैठा हुआ है…

कौन है ये दलित समुदाय के लोग

दरअसल, तमिलनाडु के तेनकासी जिले के अलंगुलम के पास अय्यनारकुलम गांव में अनुसूचित जाति (SC) समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया है कि मोस्ट बैकवर्ड क्लास (MBC) समुदाय के लोग हेयर ड्रेसर को उनके बाल काटने से रोक रहे हैं। इससे पहले भी तमिलनाडु के कंगायम के पास स्थित थायमपलायम गांव में भेदभाव का मामला सामने आ चुका है। यहां दलितों के बाल काटने से मना करने वाले गांव के नाई कृष्णन (बदला हुआ नाम) को चेतावनी जारी की गई थी।

यहां के SC समुदाय के सदस्यों के अनुसार, अय्यनारकुलम में 1,000 से ज़्यादा बैकवर्ज क्लास, मोस्ट बैकवर्ड क्लास और एससी परिवार रहते हैं। इनमें से कम से कम 50 परिवार एससी समुदाय से हैं। चूँकि इस गाँव के सैलून में इनके बाल काटने से मना कर दिया जाता है, इसलिए ये पड़ोसी नल्लूर गाँव या अलंगुलम शहर में जाते हैं।

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, इस गांव में कई सालों से ऐसा होता आ रहा है। नाम न बताने की शर्त पर निवासियों ने मीडिया को बताया कि “हाल ही में, हमारे गांव के अनुसूचित जाति के परिवार का आठ वर्षीय लड़का सैलून गया था। उसे एक घंटे से ज़्यादा इंतज़ार करवाने के बाद, हेयर ड्रेसर ने उसके बाल काटने से इनकार कर दिया और कहा कि वह एमबीसी के निर्देशों का पालन कर रहा है।”

उन्होंने आगे कहा कि “एमबीसी समुदाय के लोगों ने भी हमें सैलून न जाने और दूसरे हेयर ड्रेसर को रखने के लिए कहा है। जिला प्रशासन को हस्तक्षेप करना चाहिए और हमारे साथ हो रहे इस भेदभाव को खत्म करना चाहिए।”

एससी समुदाय के स्थानीय लोगों ने हाल ही में ग्राम प्रशासनिक अधिकारी (वीएओ) और अलंगुलम पुलिस को इस समस्या के बारे में सूचित किया। हालांकि, उन्होंने अभी तक पुलिस के पास लिखित शिकायत दर्ज नहीं कराई है, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे कहीं उनकी समस्या और ज्यादा बढ़ न जाए… अय्यनारकुलम वीएओ संतकुमार के मुताबिक एससी निवासियों को सैलून के  उपयोग से वंचित रखा जाता है।

उन्होंने कहा, “अनुसूचित जाति के निवासी हमेशा बाल कटाने के लिए पड़ोसी गांवों में जाते हैं। इन दिनों, एससी समुदाय के युवा अय्यनारकुलम में ही सैलून में जाते हैं, जिसने इस मुद्दे को तूल दे दिया है।” एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “भेदभाव करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए हमें एक लिखित पुलिस शिकायत की जरूरत है।”

एक ओर आज के समय में दलित हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहे हैं..देश और समाज का नाम रोशन कर रहे हैं दूसरी ओर आपसी लड़ाई इन्हें और पीछे धकेलने का काम कर रही है.

 

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