Bhikhari Thakur works: भिखारी ठाकुर (1887-1971) भारतीय भोजपुरी सिनेमा और साहित्य के एक प्रमुख हस्ताक्षर थे। उन्हें “भिखारी ठाकुर” के नाम से भी जाना जाता है और उन्हें भोजपुरी का “शेक्सपियर” कहा जाता है। वे एक प्रसिद्ध लेखक, कवि, गायक, अभिनेता और नाटककार थे। उनका जन्म बिहार राज्य के सिवान जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था।
कौन हैं भिखारी ठाकुर – Bhikhari Thakur works
उसके बाद उन्होंने काम की तलाश में परिवार को छोड़ दिया। उनके पिता का नाम दालसिंगार ठाकुर था। बाद में गांव में आये और उन्होंने एक नाटक मंडली बनाई और शुरुआत में रामलीला का मंचन करते थे। इसके बाद उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों पर प्रहार करते हुए उसी के अनुरूप नाटकों का मंचन किये। भिखारी ठाकुर अपनी बात समाज के सामने रखने में कभी नहीं डरे। उन्होंने समाज की हर कुरीतियों पर चोट किया। उन्होंने देश की सामंतवादी संस्कृति व गंवई लोगों पर चढ़े जाति व समुदाय के रंग के खिलाफ गीतों के माध्यम से जमकर प्रहार किया।
प्रमुख योगदान
भोजपुरी के शेक्सपियर कहे गए भिखारी
भिखारी ठाकुर को मुख्य रूप से उनके द्वारा रचित “रानी की झंझरी”, “बिदेसी”, और “गबरघिचोर” जैसी नाटकों के लिए जाना जाता है। उनके नाटक भोजपुरी लोक जीवन, संस्कृति, और सामाजिक मुद्दों को बहुत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करते थे। वे न केवल एक कवी थे, बल्कि एक नाटककार, संगीतकार और सामाजिक सुधारक भी थे।
भिखारी ठाकुर के कार्यों में उन्होंने भोजपुरी समाज की समस्याओं और उसकी जड़ों से जुड़े मुद्दों को उजागर किया। उनके नाटक और गीत भोजपुरी संस्कृति की जीवंतता और उसकी मिठास को दर्शाते हैं, और उनके साहित्य को आज भी लोग बड़े सम्मान से याद करते हैं।