BHU: दलित छात्र का आरोप, जाति के आधार पर रोका गया प्रवेश

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Banaras Hindu University: हाल ही में उत्तरप्रदेश के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) एक बार फिर जातिगत भेदभाव के आरोपों के घेरे में है। इस बार पीएचडी में दाखिले को लेकर दलित छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाया है। वही पिछले 14 दिनों से कुलपति आवास के बाहर धरने पर बैठे एक छात्र का कहना है कि उसने प्रवेश परीक्षा में दूसरा स्थान प्राप्त किया था, लेकिन आरक्षित सीटें न होने के कारण उसे प्रवेश नहीं दिया गया। तो चलिए आपको इस लेख में पूरे मामले के बारे में विस्तार से बताते है।

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छात्रों का विरोध प्रदर्शन

पीएचडी (PHD) प्रवेश परीक्षा (RTI) में शिवम सोनकर नामक छात्र ने सामान्य वर्ग में दूसरा स्थान प्राप्त किया था। इसके बावजूद उसे प्रवेश नहीं दिया गया। छात्रों का आरोप है कि विभागीय प्रशासन और कुछ प्रोफेसर दलित विरोधी मानसिकता रखते हैं और जानबूझ कर उनके साथ अन्याय किया। इस घटना के विरोध में दलित छात्रों ने बीएचयू (BHU) के बाहर प्रदर्शन किया। छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर दलित और पिछड़े वर्ग के छात्रों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है।

उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि शिवम सोनकर को तुरंत प्रवेश दिया जाए और इस भेदभाव के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। वही शिवम सोनकर ने दावा किया कि बीएचयू के शांति एवं संघर्ष अध्ययन विभाग ने छह पीएचडी सीटों की घोषणा की है, जिनमें से तीन जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF) उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं और तीन सीटें प्रवेश परीक्षा के माध्यम से भरी जाएंगी।

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दलित छात्र को आरक्षित सीटों के कारण प्रवेश नहीं मिला

दलित छात्रों ने बताया कि उन्होंने प्रवेश परीक्षा के माध्यम से प्रवेश के लिए आवेदन किया था, जिसमें उसे दूसरा स्थान मिला था। लेकिन प्रवेश परीक्षा में एससी उम्मीदवारों के लिए श्रेणी में कोई आरक्षित सीट नहीं थी, और सभी तीन उपलब्ध सीटें सामान्य और ओबीसी उम्मीदवारों को आवंटित कर दी गईं। इसके अलावा, विभाग जेआरएफ श्रेणी में तीन सीटें भरने में विफल रहा, जैसा कि उसने दावा किया था।

सोनकर ने तर्क दिया कि विश्वविद्यालय के पास अन्य श्रेणियों के उम्मीदवारों को रिक्त सीटें आवंटित करने का विवेकाधिकार है, लेकिन उसके मामले में उसे इससे वंचित कर दिया गया।उन्होंने परिणाम घोषित होने के एक दिन बाद 21 मार्च को अपना धरना शुरू किया। सोनकर ने कहा कि कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर संजय कुमार ने उन्हें 3 अप्रैल को आश्वासन दिया था कि प्रवेश के लिए उनके अनुरोध पर विचार किया जाएगा।

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