Anuppur Tribal lack basic facility: आजादी के 75 साल बाद भी मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में बैगा जनजाति के गांव बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। राजधानी भोपाल से करीब 600 किलोमीटर दूर स्थित इन गांवों की दुर्दशा ने विकास के लिए सरकार के प्रयासों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन पिछड़े इलाकों में रहने वाले आदिवासियों का जीवन संघर्ष और असुविधाओं से गुजर रहा है।
पसान नगर पालिका के ढिहाई टोला में स्थित काली मंदिर के पीछे के चार से पांच परिवार वर्षों से बिजली और पानी के अभाव में जी रहे हैं। इन परिवारों का कहना है कि आज तक परिषद ने उनकी समस्याओं को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
पानी और बिजली की व्यवस्था का अभाव- Anuppur Tribal lack basic facility
अनूपपुर में आदिवासी समुदाय की एक विशेष पिछड़ी जाति (PVTG) बैगा समुदाय के लोग रहते हैं। इन इलाकों के कुछ इलाकों और गांवों तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है, वहां सिर्फ पैदल ही पहुंचा जा सकता है। स्थानीय निवासी बाबूलाल द मूकनायक से बातचीत करते हुए बताते हैं कि उनके इलाके में न बिजली है और न पानी की व्यवस्था। “हम चार से पांच दिन में एक बार आने वाले टैंकर के पानी पर निर्भर हैं,” बाबूलाल ने कहा। पास में ही नगर पालिका का कार्यालय होने के बावजूद इन परिवारों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
पासन नगर पालिका के सीएमओ शशांक आर्मो ने बताया कि यह इलाका वन क्षेत्र में आता है। उन्होंने कहा, “लाइट पोल लगा दिए गए हैं और जल्द ही बिजली आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी।”
गड़ीदादर गाँव: बिजली का सपना अधूरा
दूसरी ओर, पुष्पराजगढ़ क्षेत्र के ग्राम पंचायत बोधा के अंतर्गत आने वाले गड़ीदादर गाँव में करीब 900 की आबादी है। आजादी के बाद से अब तक इस गाँव में बिजली नहीं पहुंची है। गड़ीदादर की निवासी इंद्रवती ने द मूकनायक से बातचीत में कहा, “आठ साल पहले जब मैं इस गाँव में आई थी, तब मुझे बताया गया था कि जल्द ही बिजली आएगी। लेकिन आठ साल बाद भी यह सपना अधूरा है।”
गाँववासियों का कहना है कि हर चुनाव के दौरान उन्हें बिजली देने का वादा किया जाता है, लेकिन चुनाव खत्म होते ही यह वादे हवा हो जाते हैं। पंचायत सचिव नंदकिशोर सारीवान ने बताया कि वर्षों पहले गाँव में बिजली के खंभे लगाए गए थे, लेकिन बिजली कभी चालू नहीं हुई।
गाँव के जीवन में मुश्किलें
पुष्पराजगढ़ क्षेत्र के बैगानटोला गाँव में हालात और भी खराब हैं। यह गाँव सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं से पूरी तरह वंचित है। यहाँ के निवासी झिरिया खोदकर पानी निकालते हैं, जिसका उपयोग पीने और खेती के लिए किया जाता है।
गाँव की 24 वर्षीय निवासी शामली बाई ने बताया, “हम अंधेरे में जीते हैं। बिजली हमारे लिए एक सपना है।” उन्होंने यह भी कहा कि लकड़ियाँ जलाकर उजाला करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है।
शिक्षा और स्वास्थ्य की दुर्दशा
बैगानटोला गाँव में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ भी नदारद हैं। गाँव में एक प्राथमिक स्कूल है, लेकिन शिक्षक अक्सर अनुपस्थित रहते हैं। माध्यमिक शिक्षा के लिए बच्चों को पांच किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, जो खराब रास्तों के कारण बेहद कठिन है।
स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण बीमार लोग अस्पताल तक नहीं पहुँच पाते, जिससे कई बार मौत तक हो जाती है। सरपंच दादूराम पनाडिया ने बताया कि दूषित पानी पीने से गाँव में कई लोग बीमार हो जाते हैं।
गाँववालों ने खुद बनाया रास्ता
बैगानटोला के निवासियों ने अपने प्रयासों से पहाड़ को काटकर एक कच्चा रास्ता तैयार किया है। इससे एक टोले से दूसरे टोले तक पहुँचना थोड़ा आसान हो गया है।
सरकारी प्रयास और निष्क्रियता
गाँव के सरपंच और पंचायत सचिव का दावा है कि उन्होंने कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से मुलाकात की, लेकिन कोई भी ठोस पहल नहीं की गई। स्थानीय निवासी हर चुनाव में बिजली, सड़क, पानी का वादा सुनते हैं, लेकिन चुनाव के बाद यह मुद्दे ठंडे बस्ते में चले जाते हैं।