Top 10 SC Castes in India: भारत में हज़ारों अनुसूचित जातियाँ (Scheduled Castes in India) हैं और इनकी संख्या राज्य और क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग है। इन जातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति भी अलग-अलग है। कुछ जातियाँ शहरी इलाकों में रहती हैं, जबकि कुछ ग्रामीण इलाकों में रहती हैं। लेकिन क्या आप भारत की शीर्ष 10 अनुसूचित जातियों (SC) के बारे में जानते हैं? अगर नहीं, तो आइए इस लेख में हम आपको बताते हैं।
जानें भारत की टॉप 10 अनुसूचित जातियाँ के बारें – Top 10 SC Castes in India
भारत में अनुसूचित (एससी) की संख्या बहुत अधिक है, और ये जातियाँ विभिन्न राज्यों और इलाकों में मौजूद हैं। हालाँकि, किसी भी जाति को “शीर्ष 10” के रूप में सूचीबद्ध करना सही नहीं होगा, क्योंकि यह विभिन्न सामाजिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों पर वर्जित है। फिर भी, निम्नलिखित जातियाँ कुछ प्रमुख जनजातियाँ हैं, जो विभिन्न राज्यों में पाई जाती हैं। जैसे…
1. महवार (Mahar) – ये जाति मुख्य रूप से महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं।
महवार जाति का नाम विशेष रूप से महाराष्ट्र में प्रचलित है। इस जाति के लोग पारंपरिक रूप से चमड़े के काम से जुड़े थे, लेकिन अब वे कृषि, निर्माण, और अन्य क्षेत्रों में भी कार्यरत हैं। डॉ. भीमराव अंबेडकर भी इस जाति से थे, जो भारतीय समाज में सुधार के प्रतीक बने।
2.चमार (Chamar) – ये जाति उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार, और हरियाणा में प्रमुख।
चमार जाति मुख्य रूप से चमड़े का काम करने वाली जाति मानी जाती है। ऐतिहासिक रूप से, इस जाति के लोग चमड़ा कूटने और जूते-चप्पल बनाने का काम करते थे। हालांकि, अब यह जाति विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में भी सक्रिय है।
3.नायक (Nayak) – ये जाति महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटका में अधिकतर में पाई जाती हैं।
नायक शब्द भारत के विभिन्न राज्यों में पाया जाने वाला एक गोत्र या उपनाम है। यह मुख्यतः महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक राज्यों में प्रचलित है। हालांकि, यह अन्य राज्यों में भी पाया जा सकता है, लेकिन इन तीन राज्यों में इसकी संख्या अधिक है। वही नायक समुदाय भारत की जाति व्यवस्था में एक सम्मानित स्थान रखता है। इस समुदाय के लोग कृषि, व्यापार और सरकारी नौकरियों सहित विभिन्न व्यवसायों से जुड़े हुए हैं। कुछ नायक समुदाय के लोग शिक्षा और सामाजिक कार्य के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं।
4. कोली (Koli) – ये जाति महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश में पाई जाती है।
कोली जाति को मुख्य रूप से मछली पकड़ने और मत्स्य पालन के व्यवसाय से जोड़ा जाता है। इस जाति के लोग मुख्य रूप से कच्छ और गुजरात के तटीय इलाकों में रहते हैं और समुद्री उत्पादों पर निर्भर रहते हैं।
5. पासी (Pasi) – ये जाति उत्तर भारत में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार में पाई जाती है।
यह जाति पारंपरिक रूप से शिकार और शराब बनाने के व्यवसाय से जुड़ी हुई थी। अब, यह जाति शिक्षा, कृषि, और सरकारी नौकरियों में भी सक्रिय है। पासी जाति के लोग विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में भी शामिल होते हैं।
6. धोबी (Dhobi) – धोबी समुदाय भारत में कपड़े धोने का काम करने वाले लोगों का एक पारंपरिक समुदाय है और ज्यादातर उत्तर भारत और महाराष्ट्र में पाया जाता है।
भारत की जाति व्यवस्था में धोबी समुदाय को एक निश्चित स्थान दिया गया था। हालांकि, समय के साथ उनकी सामाजिक स्थिति में कुछ बदलाव आए हैं। वही आधुनिक समय में, वाशिंग मशीनों के आगमन और कपड़े धोने के व्यवसाय में हुए बदलावों के कारण धोबी समुदाय के सामने कई चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं।
7. भंगी (Bhangi) – ये जाति उत्तर भारत में पाई जाती हैं, वही इसमें सफाई कर्मी के रूप में प्रमुख में आते है।
भंगी जाति पारंपरिक रूप से सफाई कर्मियों के रूप में जानी जाती है। इनका मुख्य कार्य शौचालय सफाई और सार्वजनिक सफाई से संबंधित था। हालांकि, आजकल यह जाति भी अन्य क्षेत्रों में कार्यरत है और शिक्षा में प्रगति कर रही है।
8. माली (Mali) – ये जाति राजस्थान, उत्तर प्रदेश, और मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं।
माली जाति के लोग पारंपरिक रूप से बागवानी और फूलों की खेती से जुड़े होते हैं। वे कृषि कार्यों में विशेष रूप से बाग-बगिचों के रखरखाव में सक्रिय हैं। इस जाति के लोग कृषि में आधुनिक तकनीकों को अपना रहे हैं।
9. काटी (Katti) – ये जाति तमिलनाडु, कर्नाटका और आंध्र प्रदेश में पाई जाती है।
पारंपरिक रूप से, काटी जाति के लोग विभिन्न प्रकार के काम करते थे, जिनमें खेती, शिल्पकारी, और मजदूरी शामिल थे। वही जाति व्यवस्था के कारण, काटी जाति को समाज में एक निश्चित स्थान दिया गया था। इसके अलवा आजकल, कई काटी लोग शिक्षित हो रहे हैं और विभिन्न पेशों में काम कर रहे हैं।
10. सिघल (Singhal) – ये जाति विभिन्न राज्यों में, विशेषकर उत्तर भारत में पाई जाती हैं।
सिघल जाति प्रमुख रूप से उत्तर भारत में पाई जाती है और यह जाति सामाजिक रूप से पिछड़ी मानी जाती है। अब इस जाति के लोग विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं और उनकी स्थिति में सुधार हुआ है।
इन जातियों के बीच समाज के विभिन्न पहलुओं में कार्य करने वाले लोग होते हैं। हर जाति का एक लंबा इतिहास होता है और उनकी सामाजिक स्थिति समय के साथ बदलती रही है। आजकल, अनुसूचित जातियों को शिक्षा, सरकारी नौकरियों और समाज के अन्य क्षेत्रों में प्रगति करने के समान अवसर मिल रहे हैं। इसके बावजूद, कुछ जातियाँ अभी भी अपने पारंपरिक व्यवसायों से जुड़ी हुई हैं, जबकि कुछ अन्य ने सामाजिक और आर्थिक बदलावों को अपनाया है।