Tribal folk art museum Khajuraho: खजुराहो में इस जगह पर है 7 प्रमुख जनजातियों की ‘आत्मा’, विदेश से देखने आते हैं लोग

Tribal folk art museum Khajuraho
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Tribal folk art museum Khajuraho: पर्यटकों को मध्य प्रदेश की अद्भुत जनजातीय संस्कृति और सभ्यता से परिचित कराने के उद्देश्य से खजुराहो में “आदिवर्त” जनजातीय लोक कला संग्रहालय स्थापित किया गया है। इस संग्रहालय का निर्माण, खासतौर पर देशी और विदेशी पर्यटकों के लिए एक अनूठा अनुभव देने के लिए किया गया है, ताकि वे यहां के आदिवासी जीवन, उनकी संस्कृति, परंपराओं और वेशभूषा को करीब से देख और समझ सकें। इतना ही नहीं, खजुराहो को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है।

आदिवासियों का सांस्कृतिक गांव- Tribal folk art museum Khajuraho

इस संग्रहालय में एक छोटे से आदिवासी गांव का निर्माण किया गया है, जिसमें सात प्रमुख आदिवासी परिवारों की वासभूमि और उनकी पारंपरिक जीवनशैली को प्रदर्शित किया गया है। इस गांव के माध्यम से, पर्यटकों को मध्य प्रदेश की सात प्रमुख जनजातियों का पारंपरिक रहन-सहन, कला, संस्कृति और वेशभूषा का जीवंत अनुभव मिलता है। यह संग्रहालय स्थानीय और विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन चुका है।

आदिवर्त संग्रहालय का यह प्रयास आदिवासी सभ्यता को संरक्षित करने और लोगों में इस संस्कृति के प्रति जागरूकता पैदा करने में मददगार साबित हो रहा है। इसके पहले चरण का निर्माण कार्य अब पूरी तरह से पूरा हो चुका है और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इसका औपचारिक उद्घाटन किया है। उद्घाटन के समय उन्हें लोक संस्कृति की गहरी समझ महसूस हुई और उन्होंने इसके महत्व को सराहा।

4 एकड़ क्षेत्र में फैला यह संग्रहालय मध्य प्रदेश की 7 प्रमुख जनजातियों गोंड, बैगा, कोरकू, भील, भारिया, सहरिया और कोल की जीवनशैली और संस्कृति को बड़े करीने से प्रदर्शित करता है।

मध्य प्रदेश की जनजातियों की विशिष्टता

मध्य प्रदेश में रहने वाली आदिवासी जनजातियां अपनी विशिष्ट संस्कृति और जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध हैं। इन जनजातियों के लोग न केवल अपनी अलग-अलग पारंपरिक वेशभूषा में नजर आते हैं, बल्कि उनका दैनिक जीवन, आवास और कला भी अनोखे होते हैं। आदिवर्त संग्रहालय में इन जनजातियों के घरों को उनके पारंपरिक ढंग से सृजित किया गया है, ताकि उनकी संस्कृति को सही रूप में दर्शाया जा सके।

प्रत्येक जनजाति के आवास, उनके द्वारा उपयोग किए जाने वाले दैनिक जीवन की वस्तुओं, उनके खानपान, उनके रीति-रिवाज और धार्मिक विश्वासों को बारीकी से प्रदर्शित किया गया है। संग्रहालय का उद्देश्य मध्य प्रदेश की इन अद्वितीय और विविध जनजातियों की संस्कृति को सुरक्षित रखना और आने वाली पीढ़ियों तक इसे पहुंचाना है।

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खजुराहो: एक अंतर्राष्ट्रीय कला केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है

अपने ऐतिहासिक मंदिरों और सांस्कृतिक विरासत के लिए विश्व प्रसिद्ध खजुराहो अब एक और महत्वपूर्ण पहलू में पहचान हासिल कर रहा है। यहां बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं और राज्य सरकार इसे अंतरराष्ट्रीय कला केंद्र के रूप में विकसित कर रही है। इसी सिलसिले में आदिवर्त संग्रहालय का विस्तार किया जा रहा है ताकि यहां आने वाले पर्यटक न केवल खजुराहो के ऐतिहासिक स्थलों को देख सकें, बल्कि यहां की अद्भुत आदिवासी कला और संस्कृति का भी आनंद उठा सकें।

आदिवर्त संग्रहालय में बनाए जा रहे घरों में विभिन्न आदिवासी समुदायों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली दैनिक जीवन की वस्तुओं को प्रदर्शित किया जा रहा है। इन वस्तुओं के माध्यम से इन जनजातियों के जीवन की जटिलताओं और उनके जीवन जीने के अनोखे अंदाज को उजागर किया जा रहा है।

जनजातीय और लोक प्रतीकों का निर्माण – Tribal folk art museum Khajuraho

आदिवर्त संग्रहालय के परिसर में जनजातीय और लोक प्रतीकों को कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। इन प्रतीकों का उपयोग संग्रहालय की दीवारों, मूर्तियों और अन्य कलाकृतियों में किया गया है, जो दर्शकों को जनजातीय संस्कृति की गहराई से अवगत कराते हैं। यह संग्रहालय न केवल एक पर्यटन स्थल बन चुका है, बल्कि यह मध्य प्रदेश की जनजातीय कला और संस्कृति का महत्वपूर्ण संग्रहण स्थल भी बनता जा रहा है।

मध्य प्रदेश का तीसरा आदिवासी संग्रहालय

छतरपुर में बना यह संग्रहालय भोपाल और उज्जैन के बाद मध्य प्रदेश का तीसरा आदिवासी संग्रहालय है। आदिवर्त में आने वाले पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यहां घूमने के लिए लगने वाले शुल्क की बात करें तो घरेलू पर्यटकों से मात्र 20 रुपए लिए जाते हैं। जबकि, विदेशी पर्यटकों को इसके लिए 400 रुपए खर्च करने पड़ते हैं। इसके अलावा, जो लोग फोटो खींचने के लिए कैमरा लेकर जाते हैं, उन्हें 100 रुपए अलग से देने पड़ते हैं। फ्रांसीसी पर्यटक ऐनी ने कहा कि “खजुराहो के मंदिर और यहां की कलाकृति अद्भुत है।” (Tribal folk art museum Khajuraho)

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आदिवर्त में काम करने वाले अनिरुद्ध ने कहा, यहां बुंदेलखंड, निमाड़, मालवा, बघेलखंड और चंबल की संस्कृति की पारंपरिक वेशभूषा और जीवन शैली को प्रदर्शित करते हुए घर बनाए गए हैं, जो आने वाले पर्यटकों को आदिवासियों के जीवन को जानने और समझने का मौका देते हैं।”

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