क्या कहती है BNS की धारा 15, जानें महत्वपूर्ण बातें

बीएनएस धारा 15, BNS Section 15 in Hindi
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BNS Section 15 in Hindi:  बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) एक व्यापक कानूनी दस्तावेज है और इसकी विभिन्न धाराएं अलग-अलग अपराधों और उनके दंडों को परिभाषित करती हैं। लेकिन क्या आप जानते है। बीएनएस (BNS)  की धारा 15 क्या कहती है अगर नहीं तो चलिए आपको इस लेख में बताते है। बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता)  की धारा 15  के मुताबिक, अगर कोई न्यायाधीश न्यायिक रूप से काम करते हुए किसी काम को करता है, तो उसे अपराध नहीं माना जाएगा. यह शर्त है कि वह काम विधि द्वारा दी गई शक्ति के इस्तेमाल से किया गया हो या सद्भावना से किया गया माना जाए. 

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बीएनएस की धारा 15 एक संक्षिप्त विवरण

BNS की धारा 15- यदि कोई न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट न्यायिक कार्यवाही करते हुए विधि को ध्यान में रखते हुए कोई निर्णय देता है, जिससे कोई व्यक्ति निर्दोष हो लेकिन सबूतों या साक्ष्यों के आधार पर दोषी पाया जाता है, तो मजिस्ट्रेट या न्यायाधीश का निर्णय अपराध नहीं होगा। अर्थात्‌ इस धारा के तहत न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट को संरक्षण प्राप्त होता है, लेकिन यह संरक्षण कुछ शर्तों के अधीन है ।बीएनएस की धारा 15 में कहा गया है कि यदि न्यायाधीश न्यायिक रूप से कार्य करते हुए कोई कार्य करता है तो उसे अपराध नहीं माना जाता है, बशर्ते कि वह कार्य कानून द्वारा प्रदत्त शक्ति के प्रयोग में किया गया हो या सद्भावनापूर्वक किया गया माना जाता हो। वही धारा 15 विशेष रूप से न्यायाधीशों को न्यायिक रूप से और उनकी वैध शक्तियों के दायरे में या उन शक्तियों के दायरे में कार्य करते समय किए गए कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराए जाने से सुरक्षा प्रदान करती है, जिन्हें वे सद्भावनापूर्वक वैध मानते हैं।

इसके अलवा धारा 15 न्यायाधीशों को संरक्षण प्रदान करती है जब वे न्यायिक रूप से कार्य करते हैं और उन शक्तियों का प्रयोग करते हैं जो कानून द्वारा सद्भावपूर्वक दी गई हैं या ऐसा माना जाता है। जैसे कि एक न्यायाधीश किसी मामले में सद्भावनापूर्वक यह विश्वास करते हुए निर्णय लेता है कि ऐसा निर्णय लेने की शक्ति कानून द्वारा प्रदान की गई है।

BNS Section 15 in Hindi- धारा 15 का उद्देश्य

  • यह धारा न्यायाधीशों को न्यायिक रूप से काम करने और सद्भावना से विधि द्वारा दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करने में संरक्षण देती है.
  • यह धारा न्यायाधीशों को न्यायिक रूप से और उनकी वैध शक्तियों के दायरे में काम करते समय किए गए कामों के लिए जवाबदेह ठहराए जाने से बचाती है.

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