BNS Section 19 in Hindi: बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) एक व्यापक कानूनी दस्तावेज है और इसकी विभिन्न धाराएं अलग-अलग अपराधों और उनके दंडों को परिभाषित करती हैं। लेकिन क्या आप जानते है। बीएनएस (BNS) की धारा 18 क्या कहती है, अगर नहीं तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं..
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बीएनएस की धारा 19 एक संक्षिप्त विवरण
भारतीय संविधान में कई नियाम और कानून हैं। वही भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस )की धारा 19 यह बताती है कि भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 19 के मुताबिक, किसी व्यक्ति की जान बचाने के लिए किया गया अपराध क्षमा के पात्र हो सकता है। इसके लिए, इन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए जैसे कार्य करते समय व्यक्ति का कोई आपराधिक उद्देश्य नहीं होना चाहिए. वही व्यक्तियों या संपत्ति को बचाने के लिए सावधानीपूर्वक किया गया कार्य। इसके अलवा बिना आपराधिक आशय से कम अपहानि के बदले ज़्यादा अपहानि को होने से रोकने के लिए किया गया कार्य।यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों से संबंधित है, खासकर “स्वतंत्रता का अधिकार”। भारतीय संविधान की धारा 19 नागरिकों को कुछ प्रमुख अधिकार प्रदान करती है:
धारा 19 का उद्देश्य – BNS Section 19 in Hindi
- स्वतंत्रता के अधिकार: भारतीय नागरिकों को स्वतंत्र रूप से बोलने, लिखने, यथासंभव यात्रा करने और अन्य स्थानों पर निवास करने का अधिकार है।
- संगठनों की स्वतंत्रता: भारतीय नागरिकों को किसी भी प्रकार का संगठन बनाने का अधिकार होता है।
इस धारा के उदाहरण
- एक जहाज़ का कप्तान, अचानक और अपनी ओर से किसी गलती या लापरवाही के बिना, खुद को ऐसी स्थिति में पाता है कि अपने जहाज़ को रोकने से पहले, उसे किसी नाव को नीचे गिराना होगा.
- भीषण आग में, आग को फैलने से रोकने के लिए घरों को गिरा दिया जाता है.
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बीएनएस क्या है?
बीएनएस या भारतीय न्याय संहिता, भारतीय दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता का एकीकृत रूप है। इसका उद्देश्य भारतीय दंड कानून को सरल और आधुनिक बनाना है। वही बीएनएस में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जैसे कि अपराधों की परिभाषा में बदलाव, दंडों में बदलाव और नई धाराओं का जोड़। इसके अलवा बीएनएस से न्याय प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी और न्याय मिलने में देरी कम होगी और बीएनएस से अपराधों को रोकने में मदद मिलेगी।