BNS Section 29 in Hindi: बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) एक व्यापक कानूनी दस्तावेज है और इसकी विभिन्न धाराएं अलग-अलग अपराधों और उनके दंडों को परिभाषित करती हैं। लेकिन क्या आप जानते है। बीएनएस (BNS) की धारा 29 क्या कहती है, अगर नहीं तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं.
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धारा 28 क्या कहती है?
BNS की धारा 29 भारतीय न्याय संहिता का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है. धारा 29 यह कहती है कि धारा 21, 22 और 23 में अपवाद (Exception) उन कार्यों पर लागू नहीं होते हैं जो अपराध हैं, भले ही वे सहमति देने वाले व्यक्ति को या जिसकी ओर से सहमति दी गई है, उन्हें कोई नुकसान पहुंचा सकते हैं, या पहुंचाने का इरादा रखते हैं, या पहुंचाने की संभावना जानते हैं।
धारा 29 के तहत, निम्नलिखित कृत्यों को जालसाजी माना जाता है
- जानबूझकर झूठा या गलत दस्तावेज़ बनाने, प्रकाशित करने या बेचने का प्रयास करना, और जिसका उद्देश्य किसी को धोखा देना है।
- जानबूझकर किसी दस्तावेज़ में बदलाव करना या छेड़छाड़ करना ताकि वह झूठा या गलत हो जाए, और जिसका उद्देश्य किसी को धोखा देना है।
- जानबूझकर झूठा या गलत दस्तावेज़ का उपयोग करना, और जिसका उद्देश्य किसी को धोखा देना है।
- जालसाजी एक गंभीर अपराध है और इसके लिए कड़ी सज़ा दी जाती है।
जानें धारा BNS 29 के उद्देश्य – BNS Section 29 in Hindi
धारा बीएनएस 29 का उद्देश्य इस प्रकार है: स्वतंत्र अपराध – इस धारा के अंतर्गत आने वाले अपराधों को स्वतंत्र अपराध माना जाता है। इसका मतलब यह है कि अपराध को साबित करने के लिए किसी विशेष परिणाम या क्षति को साबित करना आवश्यक नहीं है।
उदाहरण: गर्भपात कराना (यदि महिला के जीवन के लिए पूरी आस्था से नहीं किया गया हो) इस धारा का एक उदाहरण है। गर्भपात कराना एक अपराध है, भले ही इससे महिला को कोई शारीरिक या मानसिक नुकसान न हो।
उद्देश्य: इस धारा का उद्देश्य कुछ ऐसे कार्यों को अपराध घोषित करना है जो समाज के लिए विद्रोही हो सकते हैं, भले ही वे किसी व्यक्ति को सीधे नुकसान पहुंचाते हों।