क्या कहती है BNS की धारा 31, जानें महत्वपूर्ण बातें

बीएनएस, Bns section 31 in hindi
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BNS Section 31 in Hindi:  बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) एक व्यापक कानूनी दस्तावेज है और इसकी विभिन्न धाराएं अलग-अलग अपराधों और उनके दंडों को परिभाषित करती हैं। लेकिन क्या आप जानते है। बीएनएस (BNS)  की धारा 31 क्या कहती है?

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धारा 31 क्या कहती है? BNS Section 31 in Hindi

BNS की धारा 31 भारतीय न्याय संहिता का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है. यह धारा “सद्भावना से की गई संचार” से संबंधित है। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे को सलाह या सूचना देता है और उसका इरादा केवल उस व्यक्ति का भला करना है, तो उसे अपराध नहीं माना जाएगा, भले ही उस सलाह के कारण कोई नुकसान क्यों न हो।

उदाहरण के लिए: जैसे एक डॉक्टर अपने मरीज़ से कहता है कि उसकी बीमारी बहुत गंभीर है और वह ज़्यादा दिन तक जीवित नहीं रह पाएगा। डॉक्टर का उद्देश्य मरीज़ को सच बताना है ताकि वह अपने जीवन के बचे हुए दिनों का सही इस्तेमाल कर सके। भले ही यह सच मरीज़ को चौंका दे और उसकी हालत खराब कर दे, लेकिन डॉक्टर को इस अपराध का दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि उसने यह जानकारी सद्भावनापूर्वक दी थी।

जानें धारा BNS 31  के उद्देश्य 

  • इस धारा के अंतर्गत यह आवश्यक है कि व्यक्ति का इरादा सद्भावना से भरा हो। यदि उसने जानबूझकर किसी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है, तो यह धारा लागू नहीं होगी।
  • दिया गया संचार उस व्यक्ति के लाभ के लिए होना चाहिए, जिसे यह दिया जा रहा है।
  • दी गई जानकारी सही और सटीक होनी चाहिए। यदि दी गई जानकारी गलत या भ्रामक है, तो यह धारा लागू नहीं होगी।

क्यों है यह धारा महत्वपूर्ण

यह धारा डॉक्टरों, वकीलों और अन्य पेशेवरों को बिना किसी डर के अपने कर्तव्यों का पालन करने की अनुमति देता है। इसके अलवा यह धारा ये सुनिश्चित करता है कि लोग सच्ची और ईमानदार सलाह देने में संकोच न करें।

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