BNS Section 52 in Hindi: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की, धारा 52 ‘दुष्प्रेरण’ से संबंधित है. यह धारा उन स्थितियों से संबंधित है जहां किसी व्यक्ति को किसी अपराध को करने के लिए उकसाया जाता है, लेकिन वह अपराध वास्तव में नहीं होता है. तो चलिए आपको इस लेख में (बीएनएस) की धारा 52 के बारें में विस्तार से बताते है.
और पढ़े : क्या कहती है BNS की धारा 50, जानें महत्वपूर्ण बातें
धारा 52 क्या कहती है? BNS Section 52 in Hindi
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 52, यह कहती है कि, अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को अपराध करने के लिए उकसाता है और वह व्यक्ति प्रोत्साहित किए गए अपराध के साथ-साथ कोई और अपराध भी करता है, तो उकसाने वाले व्यक्ति को दोनों अपराधों के लिए सज़ा हो सकती है.
- अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को अपराध करने के लिए उकसाता है, तो उसे दुष्प्रेरक कहा जाता है.
- अगर दुष्प्रेरक द्वारा उकसाया गया व्यक्ति, उकसाए गए अपराध के अलावा कोई और अपराध भी करता है, तो दुष्प्रेरक दोनों अपराधों के लिए ज़िम्मेदार होगा.
- उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति किसी और व्यक्ति को लोक सेवक के ख़िलाफ़ हिंसा करने के लिए उकसाता है और वह व्यक्ति हिंसा करता है, तो उकसाने वाला व्यक्ति दोनों अपराधों के लिए ज़िम्मेदार होगा.
बीएनएस धारा 52 की सजा
बीएनएस की धारा 52 के तहत यदि किसी व्यक्ति को किसी अपराध को करने के लिए दुष्प्रेरित किया जाता है, लेकिन वह अपराध नहीं होता है, तो दुष्प्रेरण करने वाले व्यक्ति को उस अपराध के लिए निर्धारित सजा की एक चौथाई तक की सजा हो सकती है. जैसे यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को किसी की हत्या करने के लिए उकसाता है, लेकिन वह व्यक्ति हत्या नहीं करता है, तो उकसाने वाले व्यक्ति को हत्या के लिए निर्धारित सजा की एक चौथाई तक की सजा हो सकती है.
आपको बता दें, यह धारा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन लोगों को दंडित करने की अनुमति देती है जो दूसरों को अपराध करने के लिए उकसाते हैं, भले ही वह अपराध वास्तव में न हो। यह समाज में अपराध को रोकने में मदद करता है।