BNS Section 55 in Hindi: भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 55 ,मृत्युदंड या आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध के लिए दुष्प्रेरण (उकसाने) से संबंधित है, भले ही उकसाया गया अपराध न किया गया हो. तो चलिए आपको इस लेख में (बीएनएस) की धारा 53 के बारें में विस्तार से बताते है.
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धारा 55 क्या कहती है? BNS Section 55 in Hindi
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 55 यह कहती है कि, अगर मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध के लिए उकसाने से संबंधित है. यह धारा उन स्थितियों से संबंधित है जहां किसी व्यक्ति को ऐसे अपराध करने के लिए उकसाया जाता है जिसके लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है, लेकिन वह अपराध वास्तव में नहीं किया जाता है. वही बीएनएस धारा 55 कि कुछ मुख्य बाते है जैसे इस धारा में उन अपराधों को शामिल किया गया है जिनके लिए कानून में मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है. वही इस धारा में उकसाने का अर्थ है किसी व्यक्ति को किसी अपराध को करने के लिए प्रेरित करना या प्रोत्साहित करना.
दूसरी और इस धारा में यह महत्वपूर्ण है कि उकसाने के परिणामस्वरूप अपराध वास्तव में नहीं किया गया हो. यदि अपराध किया जाता है, तो उकसाने वाले व्यक्ति को अपराध के लिए उतनी ही सजा मिलेगी जितनी कि अपराध करने वाले व्यक्ति को मिलती है. इसके अलवा यदि किसी व्यक्ति को मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडनीय अपराध के लिए उकसाया जाता है, लेकिन वह अपराध नहीं किया जाता है, तो उकसाने वाले व्यक्ति को सात साल तक की कैद और जुर्माने की सजा हो सकती है.
बीएनएस धारा 55 उदाहरण
यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को किसी तीसरे व्यक्ति की हत्या करने के लिए उकसाता है, और वह दूसरा व्यक्ति हत्या नहीं करता है, तो उकसाने वाले व्यक्ति को इस धारा के तहत सजा हो सकती है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह धारा केवल उन मामलों में लागू होती है जहां उकसाने के परिणामस्वरूप अपराध नहीं किया जाता है. यदि अपराध किया जाता है, तो उकसाने वाले व्यक्ति को अपराध के लिए उतनी ही सजा मिलेगी जितनी कि अपराध करने वाले व्यक्ति को मिलती है.