BNS Section 6 in Hindi: भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस को साल 2023 में मोदी सरकार द्वारा लागू किया गया, जिसने सदियों पुराने इंडियन पैनल कोड की जगह ली. लेकिन क्या आप जानते हैं BNS की धारा 6 क्या कहती हैं? बीएनएस की धारा में कौन कौन से प्रावधान हैं? अगर नहीं तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं.
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क्या कहती है BNS की धारा 6
“भारतीय न्याय संहिता” (BNS) यह भारत का एक प्रमुख कानूनी दस्तावेज है, जो अपराधों और उनके लिए दंड निर्धारित करता है। इसे 1860 में अधिनियमित किया गया था और यह भारतीय न्याय व्यवस्था का आधार है। भारतीय न्यायिक प्रक्रिया: भारतीय न्यायिक प्रणाली एक जटिल ढांचे के तहत कार्य करती है, जिसमें न्यायालयों के विभिन्न स्तर होते हैं, जैसे निचली अदालतें, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय। यह न्याय प्रक्रिया संविधान और विभिन्न कानूनों द्वारा संचालित होती है। यह धारा सज़ा की शर्तों के अंशों की गणना में, आजीवन कारावास को बीस साल के कारावास के बराबर माना जाएगा जब तक कि अन्यथा प्रदान न किया गया हो।
बीएनएस धारा 6 एक संक्षिप्त विवरण – BNS Section 6 in Hindi
इस धारा का कहने का सीधा सा मतलब है कि जब किसी अपराधी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है, तो कानूनी रूप से इसे 20 साल की सजा के बराबर माना जाता है। यह इसलिए किया जाता है ताकि सजा की अवधि की गणना करते समय एक समान मानक हो। उदाहरण के लिए मान लीजिए किसी व्यक्ति को दो अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है और उसे प्रत्येक अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इस स्थिति में, कुल सजा की गणना करते समय, प्रत्येक आजीवन कारावास को 20 साल के रूप में गिना जाएगा, यानी कुल सजा 40 साल होगी।
- समानता: यह सुनिश्चित करता है कि सभी मामलों में सजा की अवधि की गणना समान तरीके से की जाए।
- न्यायिक व्यवस्था: यह न्यायिक प्रक्रिया को अधिक व्यवस्थित बनाता है।
- सजा की गणना: यह जटिल मामलों में सजा की कुल अवधि की गणना को आसान बनाता है।
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