क्या कहती है BNS की धारा 73,जानें महत्वपूर्ण बातें

BNS Section 73 in Hindi: भारतीय न्यायिक संहिता (बीएनएस) की धारा 73  न्यायालय से संबंधित सामग्री के प्रकाशन को नियंत्रित करने के लिए कानूनी ढांचे को परिभाषित करती है। वही धारा 73 कुछ गंभीर अपराधों से संबंधित अदालती कार्यवाही से संबंधित किसी भी सामग्री के अनधिकृत मुद्रण या प्रकाशन पर रोक लगाती है। अगर कोई इस कानून का उल्लंघन करता है तो उसे दो साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है। तो चलिए आपको इस लेख में BNS की धारा 73 के बारे में विस्तार से बताते है।

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धारा 73 क्या कहती है? BNS Section 73 in Hindi

भारतीय न्यायिक संहिता बीएनएस (BNS) की धारा 73 के तहत, अगर कोई व्यक्ति अदालत की कार्यवाही से जुड़ी जानकारी को बिना अनुमति के छापता या प्रकाशित करता है, तो उसे दो साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है। यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि संवेदनशील मामलों से संबंधित जानकारी अदालत की स्पष्ट अनुमति के बिना जनता के सामने प्रकट न की जाए।

बीएनएस (BNS) धारा 73 की महत्वपूर्ण बाते
  • कुछ अदालती मामलों के बारे में कोई भी जानकारी साझा करने से पहले, आपको अदालत से अनुमति लेनी होगी। इससे मुकदमे को निष्पक्ष रखने और इसमें शामिल लोगों की सुरक्षा करने में मदद मिलती है।
  • अगर आप बिना अनुमति के जानकारी साझा करते हैं, तो आपको दो साल तक की जेल हो सकती है। इससे पता चलता है कि इस नियम का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है।
  • अगर आप इस कानून को तोड़ते हैं, तो जेल की सज़ा के अलावा आपको जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। यह अनधिकृत शेयरिंग की सज़ा के अतिरिक्त है।
  • आपको कानून तोड़े बिना हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले साझा करने की अनुमति है। ये अपवाद हैं क्योंकि इन मामलों में पारदर्शिता महत्वपूर्ण है।
  • अगर आप इस कानून को तोड़ते हैं, तो पुलिस आपको बिना वारंट के गिरफ़्तार कर सकती है। इससे पता चलता है कि कानून अदालत से जुड़ी जानकारी के अनधिकृत शेयरिंग को कितनी गंभीरता से लेता है।

जानिए बीएनएस धारा 73 किससे संबंधित है

आपको बता दे बीएनएस धारा 73 यह बिना अनुमति के अदालती कार्यवाही से संबंधित किसी भी सामग्री को छापने या प्रकाशित करने से संबंधित है। इसमें धारा 72 के तहत अपराधों का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है। जैसे कि पीड़ित अगर नाबालिग है तो बिना मर्जी के उसकी फोटो प्रकाशित करना आदि।

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