BNS Section 78 in Hindi: भारतीय न्यायिक संहिता (बीएनएस) की धारा 78 महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों, विशेषकर पीछा करने से संबंधित है। यह धारा महिलाओं की सुरक्षा और गरिमा को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। तो चलिए आपको इस लेख में BNS की धारा 78 के बारे में विस्तार से बताते है।
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धारा 78 क्या कहती है? BNS Section 78 in Hindi
भारतीय न्यायिक संहिता बीएनएस (BNS) की धारा 78 को आम तौर पर “पीछा करना” के नाम से जाना जाता है। यह कानून किसी महिला को बार-बार पीछा करने और उत्पीड़न से बचाने के लिए बनाया गया है। यह धारा उन लोगों पर लागू होती है जो किसी महिला की इच्छा के विरुद्ध उसका पीछा करते हैं या उससे जबरन संपर्क करने की कोशिश करते हैं।
- पीछा करना अपराध – इस धारा के तहत पीछा करना दंडनीय अपराध माना गया है।
- इसमें किसी महिला का लगातार पीछा करना, उसकी इच्छा के विरुद्ध उससे संपर्क करने की कोशिश करना या उसकी ऑनलाइन गतिविधियों पर नज़र रखना शामिल है।
- इस धारा के तहत अपराध को साबित करने के लिए निम्नलिखित बातों को साबित करना जरूरी है:-
- आरोपी ने बार-बार महिला का पीछा करने की हरकतें की होंगी।
- पीड़ित महिला को आरोपी की हरकतों से डर या परेशानी महसूस हुई होगी।
- आरोपी की हरकतों के पीछे कोई खास मंशा होनी चाहिए कि वह महिला को डराना या असुविधा पहुंचाना चाहता हो।
- आरोपी महिला के बार-बार मना करने के बाद भी उससे बात करने की कोशिश करता है या किसी भी तरह से उस पर नजर रखता है।
(BNS) धारा 78 धारा कब लागू नहीं होती?
(BNS) धारा 78 तब लागू नहीं होती जब अगर कोई पुलिसकर्मी किसी अपराधी को पकड़ने के लिए किसी महिला का पीछा कर रहा है, तो यह अपराध नहीं है।
अगर कोई विशेष परिस्थिति है जिसमें किसी पुरुष के लिए महिला का पीछा करना ज़रूरी है, तो यह अपराध नहीं हो सकता। जैसे किसी महिला का उसकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए पीछा करना।
जानिए बीएनएस धारा 78 सजा का प्रावधान
बीएनएस धारा 78 के तहत मिलाने वाली सजा कुक इस तरह से है कि…पहली बार अपराध करने पर दोषी को 3 साल तक की कैद हो सकती है। वही दूसरी बार अपराध करने पर सजा बढ़ाकर 5 साल की जा सकती है।
आपको बता दे, यह एक संज्ञेय अपराध है, जिसका मतलब है कि पुलिस बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकती है। इसके अलवा पीड़ित महिला की शिकायत के आधार पर कार्रवाई की जा सकती है। दूसरी और इस धारा का उद्देश्य महिलाओं को ऐसे दखलंदाजी वाले व्यवहार से बचाना और उनकी निजता की रक्षा करना है।