BNS Section 86 in Hindi: भारतीय न्यायिक संहिता (बीएनएस) की धारा 86 यह अधिनियम विवाहित महिला के प्रति क्रूरता से संबंधित है, जिसमें ऐसा व्यवहार या कार्य शामिल है, जिससे महिला को गंभीर क्षति या संकट पहुंचने की संभावना हो, या उसके आत्महत्या करने या उसे गंभीर चोट पहुंचाने की संभावना हो। तो चलिए जानते हैं ऐसा करने पर कितने साल की सजा का प्रावधान है और बीएनएस में व्यभिचार के बारे में क्या कहा गया है।
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धारा 86 क्या कहती है? BNS Section 86 in Hindi
भारतीय न्यायिक संहिता बीएनएस (BNS) की धारा 86 में कहा गया है कि बीएनएस की धारा 86 के अनुसार, क्रूरता में जानबूझकर किया गया कोई भी आचरण शामिल है, जिससे किसी महिला को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित होने या महिला के जीवन, अंग या स्वास्थ्य को गंभीर चोट या खतरा पहुंचने की संभावना हो। इसमें किसी महिला का उत्पीड़न भी शामिल है, जहां उत्पीड़न का उद्देश्य उसे या उसके किसी रिश्तेदार को संपत्ति या मूल्यवान सुरक्षा की अवैध मांग को पूरा करने के लिए मजबूर करना हो।
बीएनएस (BNS) धारा 86 की महत्वपूर्ण बाते
- यह धारा दहेज की मांग से संबंधित क्रूरता के मामलों में विशेष रूप से प्रासंगिक है।
- यह स्पष्ट रूप से उन कार्यों को परिभाषित करता है जिन्हें क्रूरता माना जाता है, जिससे अदालतों के लिए ऐसे मामलों में न्याय करना आसान हो जाता है।
- यह धारा महिलाओं को दहेज उत्पीड़न से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- यह उन लोगों को हतोत्साहित करने में मदद करती है जो महिलाओं को दहेज की मांग पूरी करने के लिए मजबूर करते हैं।
बीएनएस धारा 86 के उदाहरण
शारीरिक हिंसा – पति या ससुराल वालों द्वारा पत्नी के साथ मारपीट, जलाना या किसी अन्य प्रकार की शारीरिक हिंसा।
पत्नी को भोजन या चिकित्सा सुविधा से वंचित करना।
मानसिक उत्पीड़न – पत्नी का लगातार अपमान करना, उसे ताना मारना या धमकाना।
पत्नी को उसके परिवार से मिलने या बात करने से रोकना।
पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाना।
दहेज के लिए उत्पीड़न –पत्नी या उसके परिवार से दहेज की मांग करना।
दहेज न देने पर पत्नी को परेशान करना।
पत्नी को इस तरह से परेशान करना कि वह या उसका परिवार दहेज देने के लिए मजबूर हो जाए।
जानिए बीएनएस धारा 86 सजा का प्रावधान
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 86 के तहत क्रूरता का दोषी पाए जाने पर अपराधी को 3 साल तक की कैद और जुर्माने की सजा हो सकती है। यह धारा खास तौर पर दहेज से जुड़ी क्रूरता के मामलों में लागू होती है, जहां महिलाओं को शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है।