Supreme Court Notice: यह खबर हाल के दिनों में भारत की सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए एक नोटिस से जुड़ी हुई है, जिसमें कोर्ट ने केंद्र सरकार को तलब किया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि क्यों न ऐसे अपराधियों, जैसे बलात्कारी (रेपिस्ट), को नपुंसक बना दिया जाए। कोर्ट ने यह सवाल एक जनहित याचिका के संदर्भ में उठाया है, जिसमें याचिकाकर्ता ने बलात्कार के आरोपियों को नपुंसक करने की मांग की थी। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने पोर्नोग्राफी पर भी चिंता जताई और केंद्र सरकार को पोर्न सामग्री के प्रसारण पर नियंत्रण लगाने के लिए निर्देश जारी किया। इस याचिका में कहा गया था कि पोर्नोग्राफी से समाज में असामाजिक व्यवहार और महिलाओं के प्रति हिंसा बढ़ रही है, और इसपर प्रतिबंध लगाने की जरूरत है।
और पढ़े: क्या भारत में गैर कानूनी है लिव इन रिलेशनशिप? क्या कहती हैं IPC की धाराएं
जाने क्या है पूरा मामला
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए एक नोटिस में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी करते हुए कहा कि याचिका में कई विचार बिल्कुल नया है। लेकिन यह एक महत्वपूर्ण मुद्दे को संबोधित है इसलिए इस पर विचार करना चाहिए। बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता की मांग की हम सराहना करते हैं लेकिन जिन दिशानिर्देशों की मांग की गई है उसमें कई बर्बरतापूर्ण भी है। लेकिन हम आम महिलाओं को सड़कों से लेकर हर जगह सुरक्षित करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने पर विचार करेंगे। महिलाएं, जोकि असुरक्षित और रोजमर्रा की जिंदगी में चुनौतियों का सामना कर रही हैं उनकी सुरक्षा खातिर दिशानिर्देश की आवश्यकता है।
रेपिस्टों को केमिकल तरीके से नपुंसक बनाया जाए
याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट महालक्ष्मी पावनी ने कोर्ट को बताया कि 2012 में हुए गैंगरेप की घटना को कई साल बीत जाने के बाद अभी भी महिलाओं के साथ रेप और हत्याएं नहीं रुकी हैं। सीनियर एडवोकेट महालक्ष्मी ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर रेप और मर्डर का भी जिक्र किया। आरजी कर रेप कांड के बाद भी 94 घटनाएं हुई लेकिन मीडिया ने उसे हाईलाइट नहीं किया न ही उजागर करने की जहमत उठायी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से मांग किया कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाया जाना चाहिए। इसके लिए कड़े दंड और कानून बनाया जाना चाहिए और प्रभावी ढंग से लागू हो, यह सुनिश्चित होना चाहिए। उन्होंने मांग किया कि रेप जैसे यौन अपराधियों की सजा के रूप में केमिकल तरीके से नपुंसक बनाया जाए। पोर्न कंटेंट पर रोक लगायी जाए। याचिकाकर्ता, सीनियर एडवोकेट महालक्ष्मी पावनी, सुप्रीम कोर्ट महिला वकील एसोसिएशन की अध्यक्ष हैं।
सुप्रीम कोर्ट के इस कदम को लेकर विभिन्न पक्षों की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कुछ लोग इसे बलात्कारियों के खिलाफ सख्त कदम मानते हैं, जबकि कुछ इसे मानवाधिकारों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आपत्तिजनक मानते हैं।
यह मामला अब केंद्र सरकार और अदालत के बीच विचाराधीन है, और आगे क्या कदम उठाए जाएंगे, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।
और पढ़े: हथकड़ी को लेकर कानून क्या है? क्या हथकड़ी पहनाना ‘असंवैधानिक’ है?