Government schemes for Dalit full Details – बाबा साहेब का एक ही सपना था कि कैसे भी करके समाज के दबे कुचले लोगों को उनके अधिकार मिले, सम्मान मिले…उनका हक मिले. बाबा साहेब ने शिक्षा को हथियार बताया था, जिसके बलबूत अपनी पहचान स्थापित की जा सकती है. आजादी के बाद आरक्षण भी इसीलिए लागू किया गया कि समाज से मनुवादियों द्वारा बहिष्कृत लोग भी समाज में सर उठा कर रह सकें. तमाम सरकारों ने इसे लेकर काम भी किया. दलितों की आवाज बनने वाले कई नेताओं ने भी तमाम योजनाओं को लागू किया या फिर उनके लिए आवाज उठाई. आज की वीडियो आपके लिए काफी फायदेमंद है क्योंकि आज हम आपको बहुजनों की शिक्षा से जुड़ी ऐसी तमाम स्कीम्स के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में आप नहीं जानते होंगे. और पढ़ें: हरियाणा और पंजाब के इन 5 विवादित बाबाओं ने तार-तार कर दी मर्यादा की सारी हदें
ST लड़कियों के बीच शिक्षा को मजबूत करने की योजना
इसमें पहले नंबर पर है कम साक्षरता वाले जिलों में एसटी लड़कियों की शिक्षा को मजबूत करने लिए लाई गई योजना. इस स्कीम का उद्देश्य बहुजन समाज की जरुरतमंद, कमजोर समूहों वाले क्षेत्रों में जनरल कास्ट की महिलाओं और आदिवासी महिलाओं के बीच साक्षरता स्तर के अंतर को करना है. एसटी लड़कियों की शिक्षा के लिए यह केंद्र सरकार की बेहतरीन स्कीम है और इसमें सरकार 100 फीसदी वित्त पोषण देती है यानी किसी को एक रुपये भी खर्च करने की आवश्यकता नहीं है. इस स्कीम को देश के 54 कम साक्षरता वाले जिलों में लागू किया जा चुका है.
ST छात्रावास – Government schemes for Dalit
दूसरी स्कीम है एसटी छात्रावास. केंद्र सरकार द्वारा नए छात्रावास भवनों के निर्माण या मौजूदा छात्रावासों के विस्तार के लिए राज्यों-क्रेंद शासित प्रदेशों और विश्वविद्यालयों को सहायता दी जाती है. एसटी छात्रावास में इसी वर्ग के बच्चे रह सकते हैं.
पोस्ट और प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति
अगली स्कीम है कक्षा नौवीं और दसवीं में पढ़ने वाले एसटी छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति और प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति. छात्रावासों के निर्माण सहित शिक्षा में सुधार से संबंधित विभिन्न हस्तक्षेपों को ध्यान में रखते हुए यह स्कीम लाई गई. केंद्र सरकार द्वारा संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के तहत अनुदान और विशेष रूप से कमजौर जनजातीय समूहों के लिए विशेष केंद्रीय सहायता के तहत धन प्रदान किया जाता है.
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय
सरकार का अगला प्रयास है कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय. ये कक्षा 6 से लेकर 12 तक के लड़कियों के लिए आवासीय विद्यालय है. इसमें एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक और गरीबी रेखा से नीचे आने वाले वंचित समूहों की लड़कियों को शिक्षा प्रदान किया जाता है. कस्तूरबा गांधी बालिका विश्वविद्यालयों की स्थापना के पीछे वंचित समूहों की लड़कियों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करना और स्कूल शिक्षा के सभी स्तरों पर लिंग के अंतर को कम करना है. और पढ़ें: “सावरकर के अंदर नफरत बजबजा रही है”, डॉ अंबेडकर ने ऐसा क्यों कहा था?
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय
अगली स्कीम है एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय. केंद्रीय बजट 2018-19 में इसका ऐलान किया गया था और 2022 तक 50 परसेंट से अधिक एसटी आबादी और कम से कम 20 हजार आदिवासी लोगों वाले प्रत्येक ब्लॉक में इसे स्थापित करने की बात कही गई थी…लेकिन कोरोना के कारण यह पूर्ण नहीं हो पाया. हालांकि, अभी भी इस पर काम चल ही रहा है. इन्हें संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के तहत प्रदान किए गए अनुदान के तहत स्थापित किया जा रहा है. इसका उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में एसटी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण माध्यम से उच्च स्तरीय शिक्षा प्रदान करना है.
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