अगर आपसे कोई पूछे कि भारत के संविधान निर्माता का नाम बताओ? तो आप सबसे पहले बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का नाम लेंगे. हालांकि, यह स्वाभाविक भी है क्योंकि संविधान बनाने में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि संविधान निर्माण के लिए बनाई गई ड्राफ्टिंग कमिटी में एक ऐसे शख्स भी थे, जिन्हें खुद अंबेडकर भी स्वयं से बेहतर बताते थे.
कौन थे वो जिन्हें अंबेडकर ने अपने से बेहतर बताया था.
अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर के बारे में काफी कम लोग जानते हैं. उन्हें तमाम वैश्विक देशों के संविधान और कानून की सबसे बेहतर समझ थी. उस समय मद्रास के एक गांव में जन्में कृष्णस्वामी अय्यर को असीमित ज्ञान था. उन्होंने मद्रास में एक वकील के रूप में काम भी किया.
उनकी विद्वता ने 1946 में ही जवाहरलाल नेहरू को व्यक्तिगत रूप से संविधान सभा में आमंत्रित करने के लिए प्रेरित किया. उस समय तक बाबा साहेब का नाम सामने नहीं आया था. उनके पोते कृष्णास्वामी अल्लादी ने कहा था कि उनके दादा अपने तर्क में बेजोड़ थे और केस कानून और संवैधानिक कानून के अपने ज्ञान में बेजोड़ थे”.
भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार थे बी आर अम्बेडकर, जिन्होंने संविधान की ड्राफ्टिंग समिति की अध्यक्षता की थी, उन्होंने अल्लादी के योगदान का श्रेय देते हुए कहा था कि प्रारूप समिति में कई लोग मुझसे बड़े, बेहतर और अधिक सक्षम थे जैसे कि मेरे मित्र सर अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर.
आपको बता दें कि अय्यर उस समय नौ सदन समितियों के सदस्य थे, जिनमे से ड्राफ्टिंग समिति और मौलिक अधिकारों पर एक अलग उप-समिति थी. अय्यर ने संविधान के पांचवें अनुच्छेद, जो आज भी भारतीय नागरिकता को परिभाषित करता है, उसका बचाव करते हुए ये घोषणा की थी कि “नागरिकता के साथ अधिकार और साथ ही दायित्व होते हैं.”
उन्होंने कहा था कि “हम अपनी प्रतिबद्धताओं और कई मौकों पर हमारी नीति के निर्माण के संबंध में किसी भी नस्लीय या धार्मिक या अन्य आधार पर एक प्रकार के व्यक्तियों और दूसरे, या व्यक्तियों के एक संप्रदाय और व्यक्तियों के दूसरे संप्रदाय के बीच अंतर नहीं कर सकते हैं.”
हालांकि, ड्राफ्टिंग कमिटी ने बाबा साहेब और इन दिग्गजों के नेतृत्व में संविधान को बनाकर तैयार कर दिया. वर्ष 1949 में अपने समापन भाषण में अय्यर को श्रद्धांजलि देते हुए बाबा साहेब ने कहा, मैं संविधान सभा में अनुसूचित जातियों के हितों की रक्षा करने से बड़ी कोई आकांक्षा लेकर नहीं आया था. मुझे ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि मुझे इन जिम्मेदारी भरे कार्यों को करने के लिए बुलाया जाएगा. इसलिए जब सभा ने मुझे ड्राफ्टिंग समिति के लिए चुना तो मुझे बहुत आश्चर्य हुआ. मुझे आश्चर्य से भी अधिक आश्चर्य हुआ जब मसौदा समिति ने मुझे अपना अध्यक्ष चुना. ड्राफ्टिंग कमेटी में मेरे मित्र सर अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर जैसे मुझसे बड़े, बेहतर और अधिक सक्षम व्यक्ति थे.
मौलिक अधिकार
वहीं, अय्यर का ये मानना था कि, संविधान के मूल्य की सच्ची परीक्षा भारत के आम लोगों के हाथों में है. संविधान सभा के भंग होने के बाद अपने पहले व्याख्यान में उन्होंने कहा था कि मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई थी कि पूरे देश में मतदाताओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी.
आपको बता दें कि संविधान सभा से जुड़ने से पूर्व 1926 में कृष्णस्वामी अय्यर को परोपकार के लिए केसर-ए-हिंद पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. 1930 में, उन्हें देश में उनके योगदान के लिए दीवान बहादुर की उपाधि दी गई थी और साल 1932 में, उन्हें नाइट की उपाधि दी गई. आजादी के करीब 6 वर्षों बाद अक्टूबर 1953 में उनकी मृत्यु हो गई.