Ambedkar and RBI – भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना 1935 में हुई यानी आजादी से 12 साल पहले…लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंग्रेजों के समय में यह बैंक अस्तित्व में कैसे आया? क्या अंग्रेज सोचते थे कि भारत में बैंक हो? नहीं…बिल्कुल नहीं..भारत में रिजर्व बैंक की स्थापना बाबा साहेब अंबेडकर के कारण हुई…अंबेडकर ही वो शख्स थे जिनके कारण यह राष्ट्रीय बैंक अस्तित्व में आया. इस लेख में हम आपको भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना में बाबा साहेब अंबेडकर के योगदानों के बारे में बताएंगे.
हिल्टन यंग कमीशन और अंबेडकर – Ambedkar and RBI
दरअसल, आजादी से पहले 1926 में बाबासाहेब ने हिल्टन यंग कमीशन के सामने बैंक स्थापना का मसौदा रखा था. तब इस कमीशन के लगभग सभी सदस्यों ने उनके द्वारा लिखी गई किताब द प्रॉब्लम ऑफ द रुपी – इट्स ओरिजिन एंड इट्स सॉल्युशन की जोरदार वकालत की थी. फिर क्या था…अंग्रेजों की लेजिस्लेटिव असेंबली ने इसे कानून का स्वरुप देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक अधनियिम 1934 का नाम दिया. आरबीआई एक्ट में केंद्रीय बैंक की जरूरत, वर्किंग स्टाइल और उसके आउटलुक को अंबेडकर के उसी कॉन्सेप्ट के आधार पर तैयार किया गया था, जो उन्होंने हिल्टन यंग कमीशन के सामने पेश किया था. इसके 1 साल बाद 1 अप्रैल 1935 को भारतीय रिजर्व बैंक अस्तित्व में आया था.
ध्यान देने वाली बात है कि जब हिल्टन आयोग भारत आया तो इस आयोग के हर मेंबर के पास बाबा साहेब की पुस्तक की कॉपी थी. बाबा साहेब हर क्षेत्र में पारंगत थे. वो 64 विषयों में मास्टर थे…कानूनविद से इतर वह विदेश में जाकर अर्थशास्त्र की डिग्री प्राप्त करने वाले पहले भारतीय थे. उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स में 8 वर्ष में समाप्त होने वाली पढाई केवल 2 वर्ष 3 महीने में पूरी की थी. इसके लिए उन्होंने प्रतिदिन 21-21 घंटे पढ़ाई की थी.
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हर विषयों में एक समान पकड़ रखने वाले अंबेडकर विदेश जाकर अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट यानी PhD की डिग्री हासिल करने वाले पहले भारतीय थे. बाबा साहब का अर्थशास्त्र पसंदीदा विषय था. वो विधार्थी जीवन से ही अर्थशास्त्र विषय से प्रभावित थे. उन्होंने अपनी स्नातक से लेकर पीएचडी तक की पढाई अर्थशास्त्र विषय में ही की और वह भी दुनिया के श्रेष्ठतम विश्वविद्यालयों से..
डॉ. अंबेडकर की दूरदर्शिता से खुला था बैंक
अर्थशास्त्र के विभिन्न पहलुओ पर उनके शोध उल्लेखनीय है लेकिन बाबा साहेब अंबेडकर को केवल दलितों एवं पिछडों के मसीहा तथा भारतीय संविधान निर्माता के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जो सही नहीं है. ऐसे में उन्होंने भारत के भविष्य को लेकर भी पहले ही अंदाजा लगा लिया था और बाबा साहेब की उसी दूरदर्शिता के कारण अंग्रेज भारत में बैंक खोलने पर सहमत हुए थे.
1935 में स्थापना के बाद 1937 तक भारतीय रिजर्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय कोलकाता में था. लेकिन 1937 में यह मुंबई में शिफ्ट हो गया. पहले यह अंग्रेजों का निजी बैंक था लेकिन 1949 में यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया. हालांकि, अभी तक आरबीआई के गठन में बाबा साहेब अंबेडकर के योगदान को लेकर कोई आधिकारिक साक्ष्य नहीं है. आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट पर हिल्टन यंग कमीशन का जिक्र जरुर मिलता है लेकिन बाबा साहेब के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती. हालांकि, कुछ किताबों में इसक जिक्र मिलता है.