बाबा साहेब अंबेडकर: आधुनिक भारत की जलनीति के निर्मात

Ambedkar .
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डॉ अंबेडकर ने देश को संविधान दिया…दलितों को समाज में अपनी पहचान बनाने की उम्मीद दी…अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उन्होंने ऐसा काम किया कि आज भी उनकी मिसालें दी जाती है. एक गरीब परिवार से निकल कर बाबा साहेब ने दुनिया को अपनी ज्ञान के तले झुकने पर मजबूर कर दिया. बाबा साहेब से जुड़े तमाम तथ्य हैं, जिसे लोग आज भी नहीं जानते हैं…इन्हीं में से एक है आधुनिक भारत की जलनीति…आज के इस लेख में हम आपको  डॉ अंबेडकर से जुड़े उस तथ्य के बारे में बताएंगे, जिसे भुला दिया गया या जिसके बारे में ज्यादा बात नहीं होती है

बाबा साहेब के पास कितनी डिग्रियां 

बाबा साहेब के पास 32 डिग्रियां थीं..उन्हें 9 भाषाओं का ज्ञान था…वह बहुत बड़े कानूनविद थे..उन्होंने वकालत की…राजनीति की…संविधान लिखा…ये सारी बातें काफी लंबे समय से पब्लिक डोमेन में है…ये सब जानते हैं…बाबा साहेब के व्यक्तित्व से लेकर उनके सार्वजनिक जीवन के बारे में जो भी जानकारियां हैं, सभी को पता है..लेकिन लोगों को यह नहीं पता कि वह बाबा साहेब ही थे जिन्होंने आधुनिक भारत की जलनीति का निर्माण किया…जी हां, देश के तमाम बड़े बांध हीराकुड से लेकर भाखड़ा नांगल तक में बाबा साहेब का योगदान है. डॉ अंबेडकर अर्थशास्त्र में पीएचडी करने वाले पहले भारतीय थे…भारतीय अर्थव्यवस्था की समस्या, वित्तीय प्रणाली और रुपये के ऊपर उन्होंने किताबें भी लिखीं, जिसे वरीयता दी गई.

डॉ अंबेडकर ने गुलाम भारत में जुलाई 1942 से लेकर जून 1946 तक वायरसराय की कार्यकारी परिषद के सदस्य के रुप में काम किया. इस दौरान राष्ट्र निर्माण की दिशा में उन्होंने काफी अच्छा काम किया..इसी समय उन्होंने दामोदर नदी की भयानक स्थिति को देखकर, दामोदर प्रकल्प के बारे में सोचा. दामोदर प्रकल्प पर 3 जनवरी 1945 को कोलकाता के सचिवालय में पहली बैठक हुई. इस बैठक में बिहार सरकार, बंगाल सरकार और तत्कालीन केंद्रीय मध्यवर्ती सरकार के कई प्रतिनिधि शामिल हुए थे. दामोदर नदी प्रकल्प पर आधारित इस बैठक का नेतृत्व बाबा साहेब अंबेडकर ने किया था.

इस बैठक में देश में बाढ़ नियंत्रण और उससे सुरक्षा को लेकर क्या योजना होनी चाहिए, प्रकल्प के कारण नदी का नियंत्रण कैसा होना चाहिए, सूखे से कैसे निपटेंगे, विद्युत निर्माण कैसे किया जाएगा…इन सारे मुद्दों पर चर्चा हुई. लेकिन इन सबसे इतर डॉ अंबेडकर ने इनसे निपटने के लिए विभिन्न योजनाओं की रुपरेखा तैयार कर रखी थी. बाबा साहेब के नेतृत्व में चीजें आगे बढ़ीं…देश में डैम के निर्माण पर बातचीत हुई…1945 में प्रारंभिक इंजीनियरिंग खाका तैयार किया गया…बाबा साहेब ने इसे मान्यता भी दिलाई…

बाबा साहेब के नेतृत्व में डैम्स का निर्माण

आइए अब जानते हैं कि बाबा साहेब के नेतृत्व में किन डैम्स का निर्माण हुआ था…

पहला है हीराकुड बांध परियोजना…यह बांध ओडिशा के महानदी पर स्थित है. इसकी कुल लंबाई 25.8 किमी है. भारत की आजादी के बाद इस पर काम शुरु हुआ…यह पहली प्रधान बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजनाओं में से एक थी. 1945 में हुए बैठक में डॉ अंबेडकर ने बहुउद्देश्यीय उपयोग के लिए महानदी को नियंत्रित करके, उसे होने वाले लाभ को देखते हुए, यह निर्णय लिया गया था. इस बांध को बनाने  में 10 साल लगे. 1957 में इसे खोल दिया गया. यह बांध दुनिया का सबसे बड़ा एवं लंबा बांध हैं. इस बाँध के पीछे विशाल जलाशय है जो एशिया का सबसे बड़ा कृत्रिम झील है.

दूसरा है भाखड़ा नांगल परियोजना…1945 में ही इस प्रोजेक्ट की प्लानिंग पूर्ण हुई थी. इस बांध का शुरुआती निर्माण कार्य 1946 में शुरू हुआ तथा 1948 में बांध बनना शुरू हो गया. 1963 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भाखड़ा नांगल बांध आम जनता को समर्पित किया था. यह परियोजना पंजाब में सतलुज नदी पर स्थित भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है. यह राजस्थान, पंजाब और हरियाणा की संयुक्त परियोजना है. इसमें राजस्थान की हिस्सेदारी 15.2 प्रतिशत है. इस परियोजना के पीछे भी बाबा साहेब की दूरदर्शी सोच ही थी. इसके अलावा सोन नदी घाटी परियोजना जैसी अन्य कई परियोजनाओं में भी डॉ अंबेडकर का पूरा योगदान था.

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