“चल देख, अरे ओ सनातनी,
तू जल रहा है, तेरा धर्म जल रहा है।।
जाति से शोषित बंदे,
अब धर्म के नाम पर भी कट रहा है।।
धर्म निरपेक्ष देश है कहने को,
लेकिन धर्म पूछ कर ही,
आतंकवाद की भेंट चढ़ रहा है।।“
कहने को तो आतंकवाद का कोई चेहरा नहीं होता, आपको अपने ही देश में कितने बुद्धिजीवी इस तरह की घिसी पिटी लाइने बोलते नजर आयेंगे, लेकिन 22 अप्रैल 2025 के दिन कश्मीर के पहलगाव में जो क्रूरता हुई, उसने आतंकवाद और धर्म की राजनीति करने वालो के मजहब को भी बता दिया और उनके गंदे इरादों को भी। चश्मदीदों की करूण क्रन्दन आपको अंदर से झकझोर कर रख देगी। वो गवाह है आतंकवाद के धर्म का, वो गवाह है उस चेहरे का जो सिर्फ हिंदू होने के नाम से ही नर संहार कर गया। पहले धर्म पूछते, औऱ फिर गोलियों से भून देते। कई तरह की तस्वीरें आई पहलगाम से, जो आपको अंदर तक झकझोर कर रख देती है। जो सवाल उठाती है कि क्या अब भारत में जाति और धर्म की राजनीति से उठ कर लड़ने का समय नहीं आ गया है।

क्या हुआ पहलगाम में
22 अप्रैल के दिन जम्मू कश्मीर में मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से फेमस पहलगाम एक बार फिर से उस वक्त दहल उठा, जब सीमा पार से आए कुछ आंतकियों ने वहां मौजूद पर्यटकों पर अंधाधुंद गोलियां चलाई। ये घटना 22 अप्रैल को के करीब 3 बजे दोपहर की है। जब पहलगाम के बैसरन के घास के मैदान में करीब 5000 लोग मौजूद थे। तभी अचानक आतंकियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। इस फायरिग में 28 लोगो की मौत हुई,जिसमें दो विदेशी पर्यटक भी मौजूद है तो वहीं इन मृतकों में एक मुस्लिम लड़का सय्यद आदिल हुसैन शाह ने भी अपनी जान गवाई है, जो कि खुद पहलगाव से था, जिसके इन आतंकियों से लोहा लेने की कोशिश की और कश्मीर की साख बचाने के लिए पर्यटकों को बचाने की कोशिश की, लेकिन इन आतंकियों ने आदिल को भी नहीं छोड़ा। यानि कि धर्म पूछकर हत्या करना तो केवल अपनी कट्टरपंथी सोच का डर पूरे भारत में बढ़ाना है वर्ना तो आतंकियों को केवल दहशत फैलाने से मतलब है। इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फोर्स (TRF) ने ली थी।
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पाकिस्तान की अनदेखी सबसे बड़ी गलती
अभी हाल ही में पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल सैयद असीम मुनीर ने खुले तौर पर भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला था। मुनीर ने साफ तौर पर बलूचिस्तान मुद्दे से भारत को दूर रहने की चेतावनी दी थी, तो वहीं लश्कर ए तैयबा के चीफ सैयद हाफिज के करीबी और कमांडर अबू मूसा का नाम सामने आया है। मूसा ने खुले तौर पर 18 अप्रैल को पाकिस्तान के रावलकोट के खाईगाला में दो आतंकी आकिफ हलीम और अब्दुल वहाब के लिए श्रद्धाजलि सभा में भारत को कभी न भरने वाला जख्म देने की बात कही थी। मूसा ने भारत को धमकी देते हुए कहा कि जिहाद जारी रहेगा। बंदूकें बोलेंगी और कश्मीर में सिर कलम होना जारी रहेगा। मोदी ने कश्मीर में 10 लाख सेना लगाए है, वो खुद ऑफिम में बैठकर ऑर्डर दे सकते है लेकिन कश्मीर के मैदान उनके युद्ध के मैदान है। वो वहां नर संहार करेंगे, और अपने शहीदों के सहादत का बदला लेगें। तुम भारत के गैर स्थानीय लोगों को निवासी प्रमाण पत्र देकर कश्मीर की जनसांख्यिकी बदलना चाहता है। तो भारत इस नरसंहार के लिए तैयार रहे।
धर्म-जाति की राजनीति से उठे ऊपर
इस बयान के बाद ही 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने मूसा के इशारे को साफ कर दिया है। पहलगाम में जो हुआ, उसके बाद सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। केवल हिंदुओ को ही निशाना क्यों बनाया गया। यहां तो किसी की जाति भी नहीं पूछी गई थी, कि कौन सा हिंदू किस जाति का है, केवल धर्म पूछा, और मार दिया। 2019 में आर्टिकल 370 के हटने के बाद घाटी में ये पहला बड़ा आतंकी हमला है। फिल्हाल वहां नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला की सरकार है। लेकिन 2019 के बाद से वहां राष्ट्रपति शासन लगा हुआ था, जिससे घाटी में शांति बनी हुई थी लेकिन 2024 में उमर अबदुल्ला ने सीएम की शपथ ली और अब घाटी का हाल फिल से बदतर होना शुरु हो गया है। कश्मीर में फिर जिहादी अपना पैर जमाने की कोशिश करने में लगे है। ऐसे अब जरूरत है कि देश की जनता को जाति और धर्म की राजनीति से उठ मानवता को सर्वोपरि बनाना होगा। देश में फैले जातिवाद औऱ धर्म की राजनीति के दीमक के लिए एकता का पेस्टीसाइट लाना होगा।
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बाबा साहब ने भी बताया था बड़ा खतरा
बाबा साहब को भारत के इस भविष्य का अंदाजा हो गया था, तभी तो वो चाहते थे कि देश में लोग जाति धर्म से उठकर बराबरी के बारे में सोचे। वो जाति औऱ धर्म के नाम पर बांने वाली पद्दति से बेहद नफरत करते थे। वो जानते थे कि अगर जातिवाद और धार्मिक सांप्रदायिकता को जब तक खत्म नहीं किया जायेगा, तब तक ये नरसंहार का कारण बनेगा, बंटवारे का कारण बनेगा। पहलगाम में जो आतंकी हमला हुआ वो बाबा साहब के इसी अंदेशा के जीता जागता उदाहरण है।
राजनैतिक पार्टियों से अपील
हमारा उन तमाम राजनैतिक लोगों से भी निवेदन है कि अब बहुत हो गई इसकी जाति उसकी जाति, मेरा धर्म उनका धर्म के नाम पर राजनीति। बहुत हो गई जाति के नाम पर. धर्म के नाम पर लोगो को बांट कर वोटबैंक बनाने के लिए राजनीति। इसे अब यही रोक देना चाहिए। अगर जात-पात, धर्म की राजनीति को छोड़ कर एकजुट नहीं होंगे तो वो दिन दूर नहीं जब दिल्ली में भी पहलगाम जैसी घटना होगी। क्योंकि जातिगत और धार्मिक बंटवारा कभी भी आपको एकजुट नहीं होने देगा। इसलिए अब जरूरी है कि अल्प संयख्यक हो या बहुसंख्यक सभी को एकजुट होकर आंतकवाद नाम के इस राक्षस से लड़ना होगा, क्योंकि आंतकवाद किसी धर्म का दुश्मन नहीं है बल्कि ये मानवता का दुश्मन है।
देश में राजनेता जो जाति के नाम पर लोगो को अलग अलग बांट कर वोटबैंक बनाने में लगे है उन्हें अब जरूरी है कि वो जनता को एक जुट होकर लड़ने के लिए प्रेरित करें। क्योंकि जो जाति और धर्म के नाम पर लोगो को बांटट सकते है वो उन्हें एकजुट करने की भी ताकत रखते है।