अवध ओझा ने अंबेडकर पर सबको क्या समझा दिया?

Avadh Ojha
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मशहूर शिक्षक और UPSC कोच अवध प्रताप ओझा उर्फ ओझा सर का नाम तो आप सभी ने सुना ही होगा…य़े युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं..सोशल मीडिया पर इनकी वीडियोज वायरल होती रहती हैं…ये इतिहास और राजनीति विज्ञान को मनोरंजक तरीके से पढ़ाने के लिए जाने जाते हैं. हालांकि, कई बार वो अपने बेबाक बोल के चक्कर में विवादों के घेरे में भी आ चुके हैं लेकिन इन सब के बावजूद इनकी फैन फॉलोइंग लाजवाब है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि देश और दुनिया पर टिप्पणी करने वाले ओझा सर, पक्के अंबेडकरवादी हैं. इन दिनों सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो क्लीप वायरल हो रहा है, जिसमें वो युवाओं से ये कहते नजर आ रहे हैं कि कभी भी अंबेडकर से नफरत मत करना.

अवध ओझा अंबेडकर के बारे क्या कहा

लल्लनटॉप को दिए अपने एक इंटरव्यू में अवध ओझा, डॉ अंबेडकर के बारे में ऐसी बातें कहते हैं, जिसे सुन युवा जोश से भर जाते हैं और ओझा सर के हर बयान पर तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई देती है. ओझा सर का कहना है कि वह अंबेडकर से काफी प्रभावित हैं और हर इंटरव्यू में उनका नाम लेते हैं। ओझा सर के अनुसार, डॉ अंबेडकर को एक जाति के रूप में ब्रांड नहीं किया जा सकता क्योंकि वो उन सभी उत्पीड़ित लोगों के लिए एक सहारा हैं जो जीवन में अपना स्थान हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

अवध ओझा आगे कहते हैं कि ‘अंबेडकर से कभी नफरत मत करना। हां, आप अंबेडकर से प्रेम जरूर कर सकते हैं, लेकिन प्रेम जागृत भाव से होना चाहिए। ताकि आप उनसे कुछ सीख सकें। डॉ. अंबेडकर ने एक बार कहा था कि शिक्षा शेरनी का दूध है, जो भी इसे पीएगा वह दहाड़ेगा।’

अपने इंटरव्यू में वो बताते हैं कि डॉ अंबेडकर की इस पंक्ति से आप समझ सकते हैं कि आज जो बच्चे आगे बढ़ रहे हैं, वह शराब या सिगरेट की वजह से नहीं, बल्कि वह शिक्षा के दम पर आगे बढ़ रहे हैं। इसीलिए हमारे देश में किताबों को इतना महत्व दिया जाता है और उन्हें माथे पर लगाया जाता है क्योंकि इसमें सरस्वती का वास है।

ओझा सर के मुताबिक आज अगर कोई इंसान शिक्षा को गले लगा लेता है तो समाज उसे राजा बना देता है। इसी तरह बाबा साहेब ने भी शिक्षा को अपनाया और दुनिया ने उन्हें एक राजा की तरह सम्मान दिया।

अंबेडकर का जीवन

आपको बता दें कि भयंकर गरीबी, पिछड़ापन, छुआछूत और अस्पृश्यता जैसी चीजों के बीच पल कर डॉ अंबेडकर ने वो मुकाम हासिल किया, जिसे उनके बाद आज तक कोई भी हासिल नहीं कर पाया है. उन्होंने इतनी पढ़ाई की, इतनी पढ़ाई की..कि उनके सामने बैठने से बड़े बड़े नेता और स्कॉलर तक कतराते थे. दर्जनों डिग्रियों के साथ ही तमाम भाषाओं के ज्ञान ने समाज में उनका कद काफी ऊपर कर दिया. इसके अलावा दलित के लिए आंदोलन शुरु करने और दलित मुद्दों पर अपनी मुखरता के लिए वो कालांतर तक याद किए जाएंगे..

 

 

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