डॉ अंबेडकर ने कांग्रेस को जलता हुआ घर क्यों कहा था ?

Ambedkar
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बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जैसा नेता आज तक भारत भूमि पर पैदा ही नहीं हुआ है…उनके काम करने का तरीका, दलितों के हितों की लड़ाई, दलितों के लिए आंदोलन से लेकर हिंदू समाज के लिए कई कानूनों तक…बाबा साहेब अपने दौर के नेताओं की सोच से भी आगे थे. यही कारण था कि मोहनदास करम चंद गांधी और उनकी छत्रछाया में बैठे तमाम कांग्रेसी नेताओं को डॉ अंबेडकर से दिक्कत होने लगी थी. डॉ अंबेडकर गांधी से भी महान होते जा रहे थे और यही बात कांग्रेसियों को पसंद नहीं आ रही थी. संविधान सभा में डॉ अंबेडकर के शामिल होने से लेकर, उनके खिलाफ जवाहरलाल नेहरु के चुनाव प्रचार तक…इन कांग्रेसियों ने बाबा साहेब को रोकने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी..लेकिन जिसके सीने में दलित स्वाभिमान की धधकती आग हो..जिसके दिमाग में दलितों के उत्थान का सपना हो…जो सोते जागते दलित समाज के विकास की बात करता हो…उस शख्स को कांग्रेसियों का षड्यंत्र कैसे डिगा पाता…जी हां, डॉ अंबेडकर कभी डिगे नहीं और कांग्रेसियों द्वारा रचे गए हर षड्यंत्र को तोड़ मरोड़ कर उनके मुंह पर करारा तमाचा जड़ा था…इन्ही सारी घटनाओं के बीच उन्होंने एक बार कांग्रेस को जलता हुआ घर तक बता दिया था…इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आखिर बाबा साहेब ने कांग्रेस को जलता हुआ घर क्यों कहा था.

अंबेडकर और पिछड़ा वर्ग

बाबा साहेब अंबेडकर से जुड़ा यह किस्सा, पुस्तक डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर राइटिंग एंड स्पीचेज Vol 40 में उपलब्ध है. अब बात करें इस किस्से की तो 25 अप्रैल 1948 को सीरियल कास्ट फेडरेशन के अधिवेशन में बोलते हुए डॉ अंबेडकर ने अपने अनुयायियों से कहा, ‘भाइयों और बहनों, मुझे लगता है कि कांग्रेस में शामिल होने से हमें कोई फायदा नहीं होगा। कांग्रेस दिन प्रतिदिन कमजोर होती जा रही है। समाजवादियों के इससे अलग हो जाने के कारण यह पार्टी और दुर्बल होती जा रही है। ऐसे समय में हम इन दोनों पार्टियों के बीच चल रही प्रतिस्पर्धा का फायदा उठा सकते हैं और अपनी पार्टी के अलग अस्तित्व को बरकरार रखते हुए उन पार्टियों के साथ सहयोग करके सत्ता हासिल कर सकते हैं जो हमारी शर्तों को स्वीकार करेंगी।‘

बाबा साहेब ने कहा था कि सत्ता सामाजिक प्रगति का अचूक नुस्खा है। उन्हें पिछड़ी जातियों के लिए कांग्रेस में शामिल होकर सत्ता हासिल करना मुश्किल लग रहा था। उनके मुताबिक कांग्रेस एक बड़ा संगठन है और इसमें प्रवेश करना समुद्र में बूंद गिरने के समान है। वो मानते थे कि कांग्रेस में शामिल होने से पिछड़ी जातियों को कोई लाभ नहीं होगा। हां, यदि कांग्रेस अलग-अलग गुटों में बंटी होती तो निश्चित रूप से दलित, कांग्रेस से अपने समर्थन की उम्मीद कर सकते थे लेकिन स्थिति वैसी नहीं थी.

डॉ अंबेडकर मानते थे कि यदि वे अपने समर्थकों सहित कांग्रेस में शामिल हो जाते तो उनके विरोधियों की शक्ति बढ़ जाती। उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस की हालत जले हुए घर जैसी है, जिसमें शामिल होते ही वह और उनके समर्थक जलकर राख हो जायेंगे।

नहीं होगा दलितों का उधार

दरअसल, बाबा साहेब ने स्पष्ट रुप से कहा था कि कांग्रेस कमज़ोर है और अगर उन्होंने इस पार्टी का समर्थन भी किया तो उनका संगठन भी कांग्रेस के साथ डूब जायेगा। अंबेडकर ने तो यहां तक कहा था कि अगर कांग्रेस कुछ सालों में खत्म हो जाए तो उन्हें बिल्कुल भी आश्चर्य नहीं होगा। उनके मुताबिक समाजवादी नेताओं के कांग्रेस से अलग होने के बाद कांग्रेस की ताकत कम हो गई थी। ऐसे समय में वे एक अलग संगठन बनाकर तीसरे मोर्चे के रूप में गठन करना चाहते थे। डॉ अंबेडकर ने कहा था कि अगर कांग्रेस और समाजवादियों को बहुमत नहीं मिला तो वे उनसे यानी अंबेडकर के संगठन से समर्थन की भीख मांगेंगे, इसका फायदा उठाकर वो अपनी शर्तें रखकर सत्ता में संतुलन बना सकते हैं।

हालांकि, ऐसा हुआ नहीं था. लेकिन बाबा साहेब ने आज से 74-75 साल पहले ही कांग्रेस की नीतियों और दलितों के प्रति उसके रवैये की पोल खोल दी थी. वह उसी समय समझ गए थे कि कांग्रेस पार्टी दलितों के लिए कुछ कर ही नहीं सकती.

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