बाबा साहेब ने कभी भी जातियों के बीच समरसता की बात नहीं की. वो कहते थे कि जाति के ढांचे में ही ऊंच और नीच का तत्व है…इसलिए जातियां रहेंगी तो जातिभेद भी रहेगा. बाबा साहेब का मॉडल वंचितों को समर्थ और सक्षम बनाकर उन्हें इस काबिल बनाने का था कि वे जातिवाद को चुनौती दे सकें. उन्होंने हिंदुओं से आह्वान करते हुए कहा था कि अगर वे अपने धर्म को बचाना चाहते हैं तो उन्हें जाति का विनाश करना होगा. चूंकि जाति के स्रोत उनके धर्मग्रंथ हैं, इसलिए उनसे मुक्त पानी होगी. बाबा साहेब ने हिंदुओं को संबोधित करते हुए एक भाषण भी लिखा था, जिसे जानबूझकर बोलने नहीं दिया गया. आज हम आपको बाबा साहेब के उस भाषण के बारे में बताएंगे, जिसे उन्हें बोलने नहीं दिया गया लेकिन बाबा साहेब ने आगे चलकर उसे ही एक किताब का रुप दे दिया.
‘जाति प्रथा का विनाश’
बाबा साहेब कहते थे कि जाति एक बीमारी है, जिसने हिंदुओं को जकड़ रखा है और इस बीमारी से बाकी लोग भी परेशान है. वह सलाह देते थे कि इस बीमारी को ठीक करनी है तो ग्रंथों से मुक्ति पा लो. Annihilation of Caste यानी जाति प्रथा का विनाश, डॉ अंबेडकर द्वारा लिखे गए श्रेष्ठतम और प्रसिद्ध ग्रंथों में से एक है. इसका प्रकाशन वर्ष 1936 में हुआ. इस पुस्तक में तत्कालीन जाति व्यवस्था का जमकर विरोध किया गया एवं उस समय के धार्मिक नेताओं का भी विरोध किया गया. इसमें जाति व्यवस्था की उस सच्चाई को दर्शाने का प्रयास किया गया, जिसने पूरे समाज में जहर फैला रखा है.
यह बाबा साहेब का एक ऐसा भाषण है, जिसको सार्वजनिक रुप से पढ़ने का मौका उन्हें नहीं मिला. यह भाषण उन्हें लाहौर में देना था. दरअसल, लाहौर के जात-पात तोड़क मंडल की ओर से उनके वार्षिक कॉन्फ्रेंस में डॉ अंबेडकर को अध्यक्षीय भाषण के लिए आमंत्रित किया गया. कुछ समय बाद इस जात-पात तोड़क मंडिल ने बाबा साहेब से उनके भाषण की एक लिखित कॉपी मांगी ताकि भाषण को छपवाया और बंटवाया जा सके. बाबा साहेब ने अपना भाषण लिखकर भेज दिया. लेकिन जैसे ही बाबा साहेब ने प्रस्तावित भाषण को लिखकर भेजा तो ब्राह्मणों के प्रभुत्व वाले जात-पात तोड़क मंडल के कर्ताधर्ता, काफी बहस के बाद भी यह भाषण सुनने कौ तैयार नहीं हुए.
जात-पात तोड़क मंडल ने क्यों जताई थी आपत्ति
बाबा साहेब ने अपने इस भाषण में अछूतों पर सवर्णों के अत्याचार से जुड़ी तमाम बातें लिखी थी और तथ्यों को पिरोया था. उन्होंने अपने भाषण जातिवाद की पोल खोल कर रख थी. यही कारण था कि ब्राह्मणों के प्रभुत्व वाले जात-पात तोड़क मंडल ने इस पर आपत्ति जताई और बाबा साहेब से अपना भाषण बदलने को कहा. मंडल की ओर से यह भी कहा गया कि आप अपने भाषण के अंत में यह बता दें कि भाषण में आपने जो भी लिखा और बोला है, वो आपके विचार हैं. इन विचारों से हमारे मंडल का कुछ लेना देना नहीं है. लेकिन बाबा साहेब ने अपना भाषण बदलने से इनकार कर दिया. जिसके बाद जात-पात तोड़क मंडल ने उस सम्मेलन को रद्द कर दिया और बाबा साहेब का यह भाषण यूं ही पड़ा रह गया. बाद में बाबा साहेब ने अपने इस भाषण को एक किताब का रुप दे दिया, जिसका नाम Annihilation of Caste यानी जाति प्रथा का विनाश रखा गया. बाबा साहेब ने इस किताब में यह स्पष्ट रुप से कहा है कि अगर जाति का विनाश नहीं हुआ तो यह हमारे समाज का विनाश होगा.