हिंदी साहित्य में दलितों के जीवन को केंद्र में रखकर अनेक किताबें लिखी गई हैं. उनमें से कुछ वैसी किताबों को यहां शामिल किया है जिनमें दलित जीवन की सच्चाई बेहद यथार्थवादी नज़रिए से अभिव्यक्त हुई है.
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· मोहनदास नैमिशराय ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जीवनी लिखी है.
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·मराठी के दलित साहित्यकार दया पवार की रचना 'अछूत' में महाराष्ट्र की महार जाति के जीवन संघर्ष का चित्रण है.
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चंद्रभान प्रसाद ने दलित डायरी, 1999-2003: भारत में रंगभेद पर विचार किताब लिखी है.
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चंद्रभान प्रसाद ने दलित पूंजीवाद, एक संस्मरण: एक आत्म-सम्मान आंदोलन किताब भी लिखी है.
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चंद्रभान प्रसाद ने डी श्याम बाबू और देवेश कपूर के साथ डिफ़ाइंग द ऑड्स: द राइज़ ऑफ़ दलित एंटरप्रेन्योर्स किताब भी लिखी है.