By: Shikha Mishra

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बौद्ध धर्म के 5 शील

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बौद्ध धर्म के पहले शील में अहिंसा के बारे में बताया गया है. इसमें बताया गया है कि किसी भी जीव की हत्या..वह बड़ा हो या छोटा हो...उनकी हत्या हिंसा है और इस हिंसा से सभी को बचना चाहिए

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 दूसरे शील  में सत्य के बारे में बताया गया है. यह कहा गया है कि इंसान को कभी भी झूठ  नहीं बोलना चाहिए...परिणाम की अपेक्षा किए बिना इंसान को हमेशा सत्य के साथ खड़ा रहना चाहिए.

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तीसरे शील में अस्तेय के बारे में बताया गया है. अस्तेय का शाब्दिक अर्थ है चोरी नहीं करना. इस शील में अस्तेय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी गई है. इसमें बताया गया है.

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बौद्ध धर्म के चौथे शील में अपरिग्रह के बारे में बताया गया है. इसमें संपत्ति के बारे में जानकारी दी गई है. इसमें यह बताया गया है कि हमें जितनी जरुरत हो उतनी ही संपत्ति रखे.

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 पांचवा शील  है ब्रह्मचर्य...बौद्ध धर्म अपने इस शील के माध्यम से व्यभिचार से बचने की सलाह देता है. काम इंसान का शत्रु है, जिससे जो जितना दूर रहेगा...उसका जीवन उतना ही सार्थकता की ओर जाएगा.