By: Shikha Mishra

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अकेले 36 अंग्रेजों पर भारी पड़ी थी ये दलित वीरांगना

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आजादी की लड़ाई में समाज के सभी वर्गों और जातियों के लोग थे। इसके बावजूद इतिहास में उन्हीं लोगों के नाम दर्ज किया गया, जो समाज के अगड़े वर्ग से आते थे। 

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लेकिन आज हम एक दलित, जबाज महिला के बारे में बात करने जा रहे है. जिन्होंने स्वतन्त्रता सैनानी के रूप में (1857 वाली क्रांति में) अपना योगदान दिया है.

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जिनका नाम ऊदा देवी है. उत्तरप्रदेश के लखनऊ में जन्मी भारत माँ की बेटी ऊदा देवी को दलित वीरांगना भी कहा जाता है.

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हालांकि उनके बलिदान को हमारे इतिहास में नहीं लिखा गया है. लेकिन लखनऊ में उनके बलिदान की कहनियां सुनने को मिल जाएंगी.

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उत्तर प्रदेश की सरकार ने 20 मार्च 1921 में उनके नाम की प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (पीएसी) महिला बटालियन की स्थापना की घोषणा की थी.

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जो उनके बलिदान को याद दिलाता है. यह दलित वीरांगना अपने जबाज हौसलें के लिए जानी जाती है.